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Wednesday, April 4, 2012

Murli 4 April


[04-04-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप की याद में रहना - यह बहुत मीठी मिठाई है, जो दूसरों को भी बांटते रहो अर्थात् अल्फ और बे का परिचय देते रहो'' 
प्रश्न :- स्थाई याद में रहने की सहज विधि क्या है? 
उत्तर: स्थाई याद में रहना है तो देह सहित जो भी सम्बन्ध हैं उन सबको भूलो। चलते-फिरते, उठते बैठते याद में रहने का अभ्यास करो। अगर योग में बैठते लालबत्ती भी याद आई तो योग टूट जायेगा। स्थाई याद रह नहीं सकेगी। जो कहते कोई खास बैठकर योग कराये, उनका योग भी लग नहीं सकता। 
गीत:- रात के राही... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपना सब कुछ अल्फ के हवाले कर बे बादशाही लेनी है। पोतामेल रखना है कि बाप और वर्से की कितना समय याद रही। 
2) कोई भी उल्टी चलन नहीं चलनी है। स्थाई याद में रहने का अभ्यास करना है। 
वरदान: विनाश के पहले एवररेडी रहने वाले समान और सम्पन्न भव 
विनाश के पहले एवररेडी बनना ही सेफ्टी का साधन है। अगर समय मिलता है तो संगमयुग की मौज मनाओ लेकिन रहो एवररेडी क्योंकि फाइनल विनाश की डेट कभी भी पहले मालूम नहीं पड़ेगी, अचानक होना है। एवररेडी नहीं होंगे तो धोखा हो जायेगा इसलिए एवररेडी रहो। सदा याद रखो कि हम और बाप सदा साथ हैं। जैसे बाप सम्पन्न है वैसे साथ रहने वाले भी समान और सम्पन्न हो जायेंगे। समान बनने वाले ही साथ चलेंगे। 
स्लोगन: जिनका स्वभाव निर्मल है उनके हर कदम में सफलता समाई हुई है। 

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