[18-04-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप, टीचर और सतगुरू तीनों ही परमप्रिय हैं, तीनों ही एक हैं, तो याद करना भी सहज होना चाहिए''
प्रश्न :- इस कलियुग में सदा जवान कौन रहता है और कैसे?
उत्तर: यहाँ रावण (विकार) सदा जवान रहता है। मनुष्य भल बूढ़ा हो जाए लेकिन उसमें जो विकार हैं, क्रोध है वह कभी बूढ़ा नहीं होता। वह सदा जवान रहता है। मरने तक भी विकार की आश बनी रहती है। बाप कहते हैं काम महाशत्रु है परन्तु मनुष्यों का वही परम मित्र है इसलिए एक दो को तंग करते रहते हैं।
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सपूत बनने के लिए बाप की श्रीमत पर चलना है। जो भी बुरी आदते हैं मांगने की, चोरी करने की वा झूठ बोलने की वह निकाल देनी है।
2) अपना सब कुछ बाप के पास इनश्योर करना है। शरीर भी ईश्वरीय सेवा में लगाना है। माया की प्रवेशता किसी भी कारण से न हो जाये, इसमें सावधान रहना है।
वरदान: सम्पर्क सम्बन्ध में आते सदा सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने वाले गुप्त पुरूषार्थी भव
संगमयुग सन्तुष्टता का युग है, यदि संगम पर सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो कब रहेंगे इसलिए न स्वयं में किसी भी प्रकार की खिटखिट हो, न दूसरों के साथ सम्पर्क में आने में खिटखिट हो। माला बनती ही तब है जब दाना, दाने के सम्पर्क में आता है इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क में सदा सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना, तब माला के मणके बनेंगे। परिवार का अर्थ ही है सदा सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने वाले।
स्लोगन: पुराने स्वभाव-संस्कार के वंश का भी त्याग करने वाले ही सर्वंश त्यागी हैं।
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