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Thursday, April 19, 2012

Murli 19 April


[19-04-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे- ज्ञान की गुह्य बातों को सिद्ध करने के लिए विशालबुद्धि बन बहुत युक्ति से समझाना है, कहा जाता है सांप भी मरे लाठी भी न टूटे''
प्रश्न :- हाहाकार के समय पास होने के लिए कौन सा मुख्य गुण जरूर चाहिए? 
उत्तर: धैर्यता का। लड़ाई के समय ही तुम्हारी प्रत्यक्षता होगी। जो मजबूत होंगे, वही पास हो सकेंगे, घबराने वाले नापास हो जाते हैं। अन्त में तुम बच्चों का प्रभाव निकलेगा तब कहेंगे अहो प्रभु तेरी लीला.... सब जानेंगे गुप्त वेष में प्रभु आया है।
प्रश्न :- सबसे बड़ा सौभाग्य कौन सा है?
उत्तर:- स्वर्ग में आना भी सबसे बड़ा सौभाग्य है। स्वर्ग के सुख तुम बच्चे ही देखते हो। वहाँ आदि-मध्य-अन्त दु:ख नहीं होता। यह बातें मनुष्यों की बुद्धि में मुश्किल ही बैठती हैं।
गीत:- नई उमर की कलियाँ..... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप समान निर्भय, निडर बनना है। धैर्यता से काम लेना है, घबराना नहीं है।
2) विनाश सामने है इसलिए जास्ती धन इकट्ठा करने का लोभ नहीं करना है। ऊंच पद के लिए ईश्वरीय सेवा कर कमाई जमा करनी है। 
वरदान: सर्व शक्तियों को समय पर आर्डर प्रमाण कार्य में लगाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान् भव
मास्टर का अर्थ है कि हर शक्ति जिस समय आह्वान करो वो शक्ति प्रैक्टिकल स्वरूप में अनुभव हो। जिस समय, जिस शक्ति की आवश्यकता हो, उस समय वो शक्ति सहयोगी बने। शक्ति को ऑर्डर किया और हाज़िर। ऐसे भी नहीं ऑर्डर करो सहनशक्ति को और आये सामना करने की शक्ति तो उसे मास्टर सर्वशक्तिमान् नहीं कहेंगे। जैसे शरीर की शक्तियां ऑर्डर में हैं ऐसे सूक्ष्म शक्तियां भी ऑर्डर प्रमाण कार्य करें, एक सेकण्ड का भी फर्क न पड़े। 
स्लोगन: प्रसन्नता का आधार सन्तुष्टता की शक्ति है।

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