[23-04-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हारी बुद्धि में सारा दिन सर्विस के ही ख्यालात चलने चाहिए, तुम्हें सबका कल्याण करना है क्योंकि तुम हो अन्धों की लाठी''
प्रश्न :- ऊंच पद पाने के लिए मुख्य कौन सी धारणा चाहिए?
उत्तर: ऊंच पद तब मिलेगा जब अपनी कर्मेन्द्रियों पर पूरा-पूरा कन्ट्रोल होगा। अगर कर्मेन्द्रियाँ वश नहीं, चलन ठीक नहीं, बहुत अधिक तमन्नायें हैं, हबच (लालच) है तो ऊंच पद से वंचित हो जायेंगे। ऊंच पद पाना है तो मात-पिता को पूरा फालो करो। कर्मेन्द्रिय जीत बनो।
गीत:- नयन हीन को राह दिखाओ प्रभू......
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कोई भी विनाशी तमन्नायें नहीं रखनी है। अपना और सर्व का कल्याण करना है।
2) देह सहित सब कुछ भूल वापस घर चलना है इसलिए चेक करना है कि बुद्धि कहीं पर भी अटकी हुई न हो।
वरदान: विकारों रूपी सांपों को गले की माला बना देने वाले सच्चे तपस्वी भव
ये पांच विकार लोगों के लिए जहरीले सांप हैं लेकिन आप योगी तपस्वी आत्माओं के लिए ये सांप गले की माला बन जाते हैं इसलिए आप ब्राह्मणों के और ब्रह्मा बाप के अशरीरी, तपस्वी शंकर स्वरूप के यादगार में सांपों की माला गले में दिखाते हैं। सांप आपके लिए खुशी में नाचने की स्टेज बन जाते हैं, यह अधीनता की निशानी दिखाई है। स्थिति ही स्टेज है। तो जब विकारों पर इतनी विजय हो तब कहेंगे सच्चे तपस्वी।
स्लोगन: पुराने संसार वा संस्कारों से मरना ही जीते जी मरना है।
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