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Tuesday, April 3, 2012

Murli 03 Aprli



मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप है भक्तों और बच्चों की रखवाली करने वाला भक्त-वत्सलम्, पतित से पावन बनाकर घर ले जाने की जिम्मेवारी बाप की है, बच्चों की नहीं''

 प्रश्न :- बाप का कल्प-कल्प फ़र्ज क्या है? कौन सा ओना बाप को ही रहता है?
 उत्तर: बाप का फ़र्ज है बच्चों को राजयोग सिखलाकर पावन बनाना, सभी को दु:ख से छुड़ाना। बाप को ही ओना (फिकर) रहता है कि मैं जाकर अपने बच्चों को सुखी बनाऊं। गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी..... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 1) रोज़ अपने दिल रूपी दर्पण में देखना है कि कोई भी विकर्म करके अपना वा दूसरों का नुकसान तो नहीं करते हैं! सयाना बन बाप की मत पर चलना है, भूतों को भगा देना है। 2) बाप जो सत्य समाचार वा कहानी सुनाते हैं वह सुनकर औरों को भी सुनानी है। वरदान: परखने की शक्ति द्वारा कुसंग व व्यर्थ संग से बचने वाले शक्तिशाली आत्मा भव             कई बच्चे कुसंग अर्थात् बुरे संग से तो बच जाते हैं लेकिन व्यर्थ संग से प्रभावित हो जाते हैं, क्योंकि व्यर्थ बातें रमणीक और बाहर से आकर्षित करने वाली होती हैं इसलिए बापदादा की शिक्षा है-न व्यर्थ सुनो, न व्यर्थ बोलो, न व्यर्थ करो, न व्यर्थ देखो, न व्यर्थ सोचो। ऐसे शक्तिशाली बनो जो बाप के सिवाए और कोई भी संग का रंग प्रभावित न करे। परखने की शक्ति द्वारा खराब वा व्यर्थ संग को पहले से ही परखकर परिवर्तन कर दो-तब कहेंगे शक्तिशाली आत्मा। स्लोगन: सदा हल्केपन का अनुभव करना है तो बालक और मालिकपन का बैलेन्स रखो।

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