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Friday, April 27, 2012

Muril 27 April


[27-04-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम देवी देवता कुल के हो, तुम्हें अब पुजारी से पूज्य बनना है, बाप आये हैं तुम सबको भक्ति का फल देने''
प्रश्न :- देह सहित देह के सब सम्बन्धों से बुद्धियोग तोड़ने की सहज विधि क्या है?
उत्तर: मेरा तो एक शिवबाबा, दूसरा न कोई इस पाठ को पक्का करो। बाबा कहते बच्चे, देह और देह के सब सम्बन्ध दु:ख देने वाले हैं। तुम मुझे अपना बच्चा बनाओ तो मैं तुम्हारी इतनी सेवा करूँगा जो 21 जन्म तुम सदा सुखी रहेंगे। वारिस बनाओ तो वर्सा दूंगा। साजन बनाओ तो श्रृंगार कर स्वर्ग की महारानी बना दूँगा। भाई बनाओ, सखा बनाओ तो साथ में खेल करूँगा। मेरे साथ सब सम्बन्ध जोड़ो तो देह के सम्बन्धों से बुद्धि निकल जायेगी।
गीत:- कितना मीठा, कितना प्यारा शिव भोला भगवान..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप को अपना ट्रस्टी बनाकर सबसे ममत्व मिटा देना है। बेहद के बाप का आज्ञाकारी जरूर बनना है।
2) धर्मराज की कड़ी सजाओं से बचने के लिए अभी से ऐसी अवस्था बनानी है जो अन्त घड़ी में एक बाप के सिवाए कोई भी याद न आये। बुद्धि कहाँ भी लटकी हुई न हो।
वरदान: दु:ख की दुनिया से किनारा करने वाले सुखदेवा, सुख स्वरूप भव
आप सुख के सागर के बच्चे सुख स्वरूप, सुख देवा हो। दु:ख की दुनिया छोड़ दी, किनारा कर लिया, तो संकल्प में भी न दु:ख देना, न दु:ख लेना। अगर किसी की कोई बात फील भी हो जाती है तो इसको कहेंगे दु:ख लेना। अगर कोई दे और आप नहीं लो तो यह आपके ऊपर है। ऐसे नहीं कि कोई दु:ख दे रहा है तो कहेंगे मैं क्या करूं! चेक करो कि क्या लेना है, क्या नहीं लेना है। लेने में भी होशियार बनो तो सुख स्वरूप, सुख देवा बन जायेंगे।
स्लोगन: स्थिति का आधार स्मृति है इसलिए सदा खुशी की स्मृति बनी रहे।

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