[17-04-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम हो कर्मयोगी, तुम्हें चलते-फिरते याद का अभ्यास करना है, एक बाप के सिमरण में रह नर से नारायण बनने का पुरूषार्थ करो''
प्रश्न :- निश्चय बुद्धि बच्चों की मुख्य निशानी क्या होगी?
उत्तर: उनका बाप के साथ पूरा-पूरा लव होगा। बाप के हर फरमान को पूरा-पूरा पालन करेंगे। उनकी बुद्धि बाहर नहीं भटक सकती। वह रात को जागकर भी बाप को याद करेंगे। याद में रहकर भोजन बनायेंगे।
गीत:- तूने रात गँवाई सोके.....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) निश्चय बुद्धि बन एक बाप से पूरा-पूरा लव रखना है। बाप के फरमान पर चल माया पर जीत पानी है।
2) शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते, कर्मयोगी बनना है। याद का चार्ट 8 घण्टे तक जरूर बनाना है।
वरदान: अपनी श्रेष्ठ दृष्टि, वृत्ति, कृति से सेवा करने वाले निरन्तर सेवाधारी भव
जैसे यह शरीर श्वांस के बिना नहीं रह सकता ऐसे ब्राह्मण जीवन का श्वांस है सेवा। जैसे श्वांस न चलने पर मूर्छित हो जाते हैं ऐसे अगर ब्राह्मण आत्मा सेवा में बिजी नहीं तो मूर्छित हो जाती है इसलिए हर समय अपनी श्रेष्ठ दृष्टि से, वृत्ति से, कृति से सेवा करते रहो। वाणी से सेवा का चांस नहीं मिलता तो मन्सा सेवा करो। जब सब प्रकार की सेवा करेंगे तब फुल मार्क्स ले सकेंगे।
स्लोगन: साक्षीपन की स्थिति का तख्त ही यथार्थ निर्णय का तख्त है।
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