[25-04-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - गृहस्थ व्यवहार में रहते कमाल कर दिखानी है, श्रेष्टाचारी देवता बनने और बनाने की सेवा करनी है''
प्रश्न :- राजाई के वर्से का अधिकार किन बच्चों को प्राप्त होता है?
उत्तर: जो बाप के समीप सम्बन्ध में आते हैं, अपनी चलन और आमदनी का पूरा-पूरा समाचार बाप को देते हैं। ऐसे मातेले बच्चे ही राजाई के वर्से का अधिकार प्राप्त करते हैं। जो बाप के आगे आते ही नहीं, अपना समाचार सुनाते ही नहीं, उन्हें राजाई का वर्सा मिल नहीं सकता। वह हैं सौतेले बच्चे। बाबा कहते बच्चे अपना पूरा-पूरा समाचार दो तो बाबा समझे यह क्या सर्विस कर रहे हैं। बाबा बच्चों को हर हालत में ऊंच पद पाने का पुरुषार्थ कराते हैं।
गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) विजय माला का दाना बनने के लिए अपने ऊपर पूरा अटेन्शन देना है। श्रेष्टाचारी बनने और बनाने की सेवा करनी है।
2) कोई भी ऐसा खोटा कर्म नहीं करना है, जिसकी भोगना भोगनी पड़े। बाप की राय पर कदम-कदम चलना है।
वरदान: सर्व शक्तियों का अनुभव करते हुए समय पर सिद्धि प्राप्त करने वाले निश्चित विजयी भव
सर्व शक्तियों से सम्पन्न निश्चयबुद्धि बच्चों की विजय निश्चित है ही। जैसे किसी के पास धन की, बुद्धि की वा सम्बन्ध-सम्पर्क की शक्ति होती है तो उसे निश्चय रहता है कि यह क्या बड़ी बात है! आपके पास तो सब शक्तियां हैं। सबसे बड़ा धन अविनाशी धन सदा साथ है, तो धन की भी शक्ति है, बुद्धि और पोजीशन की भी शक्ति है, इन्हें सिर्फ यूज़ करो, स्व के प्रति कार्य में लगाओ तो समय पर विधि द्वारा सिद्धि प्राप्त होगी।
स्लोगन: व्यर्थ देखने वा सुनने का बोझ समाप्त करना ही डबल लाइट बनना है।
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