 [13-04-2012]
[13-04-2012]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हारा ज्ञान-योग से श्रृंगार करने, उस श्रृंगार को कायम रखने के लिए माया से कभी हार नहीं खाना''
प्रश्न :- कौन सी एक छोटी बात निश्चयबुद्धि बच्चों के निश्चय को तोड़ संशयबुद्धि बना देती है?
उत्तर: निश्चयबुद्धि बच्चे अगर चलते-चलते किसी छोटी भी भूल के भ्रम में फँस जाते हैं तो निश्चय टूट जाता है। श्रीमत में भ्रम पैदा हुआ तो माया संशयबुद्धि बना देगी। जो संशयबुद्धि बनते हैं वह सर्विस भी नहीं कर सकते और उनसे विकारों को जीतने की मेहनत भी नहीं होती। ऐसे कमजोर बच्चों को भी रहमदिल बाप राय देते हैं बच्चे, अगर तुम्हें विकार सताते हैं, सर्विस भी नहीं करते तो बाप को तो याद करो।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता........
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बाप को पूरा हिसाब दे, ट्रस्टी बन सब चिंताओं से मुक्त हो जाना है। बाप के फरमान पर पूरा-पूरा चल मदद का पात्र बनना है।
2) मनुष्यों के डूबे हुए बेड़े को सैलवेशन आर्मी बन पार करना है। बाप का मददगार बन पूज्यनीय लायक बनना है।
वरदान: अटेन्शन की विधि द्वारा माया की छाया से स्वयं को सेफ रखने वाले हलचल में अचल भव
वर्तमान समय प्रकृति की तमोगुणी शक्ति और माया की सूक्ष्म रॉयल समझदारी की शक्ति अपना कार्य तीव्रगति से कर रही है। बच्चे प्रकृति के विकराल रूप को जान लेते हैं लेकिन माया के अति सूक्ष्म स्वरूप को जानने में धोखा खा लेते हैं क्योंकि माया रांग को भी राइट अनुभव कराती है, महसूसता की शक्ति को समाप्त कर देती है, झूठ को सच सिद्ध करने में होशियार बना देती है इसलिए ''अटेन्शन'' शब्द को अन्डरलाइन कर माया की छाया से स्वयं को सेफ रखो और हलचल में भी अचल बनो।
स्लोगन: हर संकल्प में उमंग-उत्साह हो तो संकल्पों की सिद्धि हुई पड़ी है।
 
 
 
 
 
 
 






 
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