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Wednesday, April 25, 2012

MUrli 24 April


24-4-12:


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम दु: हर्ता सुख कर्ता बाप के बच्चे होतुम्हें मन्सा-वाचा-कर्मणा 
किसी को भी दु: नहीं देना हैसबको सुख दो'' 
प्रश्न :- तुम बच्चे मनुष्य से देवता बनते हो इसलिए तुम्हारी मुख्य धारणा क्या होनी चाहिए
उत्तरतुम्हारे मुख से जो भी बोल निकलें - वह एक-एक बोल मनुष्यों को हीरे जैसा बना दें। तुम्हें 
बहुत मीठा बनना हैसबको सुख देना है। किसी को भी दु: देने का ख्याल  आये। तुम अभी ऐसी 
सतयुगी स्वर्ग की दुनिया में जाते हो जहाँ सदा सुख ही सुख है। दु: का नाम निशान नहीं। तो 
तुम्हें बाप की श्रीमत मिली है बच्चेबाप समान दु: हर्ता सुख कर्ता बनो। तुम्हारा धन्धा ही है 
सबके दु: हरकर सुख देना।  
गीत:- इस पाप की दुनिया से....... 

धारणा के लिए मुख्य सार
1) मैं आत्मा इस शरीर रूपी पुतले को नचा रही हूँ। मैं इससे अलग हूँऐसा अभ्यास करते-करते 
देही-अभिमानी बनना है। 
2) मुरली कभी भी मिस नहीं करनी हैरेग्युलर बनना है। पढ़ाई में बहुत-बहुत एक्यूरेट रहना है। 
 वरदानब्राह्मण जीवन में याद और सेवा के आधार द्वारा शक्तिशाली बनने वाले मायाजीत भव 
ब्राह्मण जीवन का आधार है याद और सेवा। अगर याद और सेवा का आधार कमजोर है तो ब्राह्मण 
जीवन कभी तेज चलेगाकभी ढीला चलेगा। कोई सहयोग मिलेकोई साथ मिलेकोई सरकमस्टांस 
मिले तो चलेंगे नहीं तो ढीले हो जायेंगे इसलिए याद और सेवा दोनों में तीव्रगति चाहिए। याद और 
नि:स्वार्थ सेवा है तो मायाजीत बनना बहुत सहज है फिर हर कर्म में विजय दिखाई देगी। 
स्लोगनविघ्न-विनाशक वही बनता है जो सर्व शक्तियों से सम्पन्न है। 

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