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Friday, April 6, 2012

Murli 05 April


मुरलीसार:-''मीठे बच्चे - बाप को याद करने की आदत डालो तो देही-अभिमानीबनजायेंगे, नशा वा खुशी कायम रहेगी, चलन सुधरती जायेगी''
प्रश्न:- ज्ञानअमृतपीतेहुएभीकईबच्चेट्रेटरबनजातेहैं- कैसे?
उत्तर: जो एक ओर ज्ञान अमृत पीते दूसरी ओर जाकर गंद करते अर्थात्आसुरीचलनचलडिससर्विसकरते, ईश्वर के बच्चे बनकर अपनी चलन सुधारतेनहीं, आपस में मायावी बातें करते, एक दो को दु:खी करते, वह हैं ट्रेटर।बाबाकहतेबच्चे, तुम यहाँ आये हो असुर से देवता बनने, तो सदा एक दो में ज्ञान की चर्चा करो, दैवीगुणधारणकरो, अन्दर जो भी अवगुण हैं उन्हें निकाल दो। बुद्धि को स्वच्छ, साफ बनाओ।
गीत:-तकदीरजगाकरआईहूँ....

धारणा के लिए मुख्य सार:
1)
शुद्धभोजनखातेहुएभीआत्माकोपावननानेकेलिएयादकीमेहनतजरूरकरनीहै।यादसेहीश्रेष्टाचारीबननाहै।विकर्मविनाशकरनेहैं।
2)
इसकयामतकेसमयमेंजबकिघरवापिसजानाहैतोपुरानासबहिसाब-किताब चुक्तू कर देना है। आपस में ज्ञान की चर्चा करनी है। मायावी बातें नहीं करनी है।
वरदान: कम्पेनियनकोकम्बाइन्डरूपमेंअनुभवकरनेवालेस्मृतिस्वरूपभव
कईबच्चोंनेबापकोअपनाकम्पैनियनतोबनायाहैलेकिनकम्पैनियनकोकम्बाइन्डरूपमेंअनुभवकरो, अलग हो ही नहीं सकते, किसकी ताकत नहीं जो मुझ कम्बाइन्डरूपकोअलगकरसके, ऐसा अनुभव बार-बार स्मृति में लाते-लाते स्मृति स्वरूप बन जायेंगे।जितनाकम्बाइन्डरूपकाअनुभवबढ़ातेजायेंगेउतनाब्राह्मणजीवनबहुतप्यारी, मनोरंजकअनुभवहोगी।
स्लोगन: दृढ़ संकल्प की बेल्ट बांधी
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