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Tuesday, January 15, 2013
Wednesday, January 9, 2013
Tuesday, January 8, 2013
Double Light Farista,
Om Shanti Double Light Farista,
Very Good Morning,
Today’s Follow Father Thought
Whoever Pure Intellects always free from limited Corporeal things.
Whoever busy in Dilaram Yaad & Unlimited Service will be free from negative thoughts & Carefree Emperor, Those are double light farista.
Monday, January 7, 2013
Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano January 07, 2013
Om Shanti !!
Swamaan / Sankalp / Slogan: Swaroop Bano
January 07, 2013
हम आत्माएँ, दृढ़ संकल्प से हर कदम में बाप को फालो करनेवाले, सम्पन्न हैं...
By following the Father at every step with determination, we, the souls, become complete...
Hum atmaayen, dridh sankalp se har kadam men baap ko falo karnewale, sampann hain...

Ten Steps of Father Brahma
Ten Steps of Father Brahma:
(Each step has 7 points)
1. Be generous-hearted like Father Brahma.
2. Be a sustainer like Father Brahma.
3. Like Father Brahma, be one who has pure and positive thoughts for others, and is full of good wishes and pure feelings.
4. Like Father Brahma, be a humble instrument and give everyone regard.
5. Like Father Brahma, be a carefree emperor.
6. Like Father Brahma, together with having love for solitude, also be sociable.
7. Like Father Brahma, remain beyond and be a destroyer of attachment.
8. Like Father Brahma, become one with the personality of purity.
9. Like Father Brahma, while living in the body, practice being bodiless.
10. Like Father Brahma, become ever-ready.
Saturday, January 5, 2013
Monday, April 16, 2012
Explanation about the 16 arts:
Explanation about the 16 arts:
When we become complete with these 16 arts which represent a soul full of all qualities, we would be delclared as complete with all the virtues and powers.
The (different) titles given for 16 arts –
1. The art of friendship – the art of making others one’s own – the art of winning the heart of others.2. The art of dealing with others – the art of divine behavior
3. The art of reforming – the art of transformation4. The art of refreshing – the art of being carefree – the art of relaxing
5. The art of developing – the art of learning
6. The art of remaining happy and content – the art of progressing – the art of marching ahead
7. The art of keeping others happy/ healthy – the art of staying healthy
8. The art of organizing – the art of writing – the art of writing
9. The art of leadership – the art of leadership – the art of leadership
10. The art of administration – the art of the art of administration
11. The art of learning and teaching – the art of teaching – the art of learning
12. The art of enjoying work and leisure – The art of making people smile – entertaining
13. The art of speech – giving a speech – sweet talking
14. The art of thinking – making best out of waste – changing waste into best
15. The art of social service and spiritual welfare – giving sustenance – sustenance
16. The art of concealing and revealing – accommodation – absorbance
Tuesday, April 10, 2012
Monday, April 2, 2012
Avagun Aur purane Sanskar 02. Aprli
अवगुण और पुराने संस्कार | बदलकर | गुण | ||||||||||
१ | रोना व रुसना | मैं आत्मा, | खुशनुमा , हर्षित हूँ | |||||||||
२ | चिड़चिड़ापन, मूड ऑफ करना | मैं आत्मा, | मिलनसार, सदा खुश हूँ | |||||||||
३ | आवेश मे आना | मैं आत्मा, | अपने स्वमान कि सीट पर सेट हूँ | |||||||||
४ | फीलिंग मे आना, अपसेट होना | मैं आत्मा, | मास्टर शान्ति का सागर हूँ | |||||||||
५ | नाराज़ होना, असंतुष्ट रहेना | मैं आत्मा, | संतुष्टमणी हूँ | |||||||||
६ | फॅमिलियारिटी | मैं आत्मा, | सभी के प्रति समभाव और सम दृष्टि रखती हूँ | |||||||||
७ | नाम- स्व का आकर्षण | मैं आत्मा, | रूहानीयत और आत्मिक आकर्षण वाली हूँ | |||||||||
८ | लगाव-झुकाव, प्रभावित होना | मैं आत्मा, | अनासक्त, उपराम, और नष्टोमोहा हूँ | |||||||||
९ | आलस्य , अलबेलापन, सुस्ती | मैं आत्मा, | तीव्र पुरुषार्थी हूँ | |||||||||
१० | बेदरकार, ज़िम्मेवारी ना संभालना, गेर ज़िम्मेदारी | मैं आत्मा, | सावधान ख़बरदार एक्यूरेट अलर्ट और जिम्मेदार हूँ | |||||||||
११ | डांटना | मैं आत्मा, | स्नेह, प्यार और शान्ति से चलने वाला हूँ | |||||||||
१२ | तिरस्कार, घृणा, नफ़रत करना | मैं आत्मा, | आत्मिक प्यार रखने वाला स्नेही हूँ | |||||||||
१३ | व्यर्थ बातों में रूचि रखना | मैं आत्मा, | स्वचिन्तन और ज्ञानचिंतनमें बिजी रहनेवाला समर्थस्वरूप हूँ | |||||||||
१४ | अपमान | मैं आत्मा, | सर्व को मान और सन्मान देता हूँ | |||||||||
१५ | डिसरिगार्ड करना, बेइज़्ज़ती करना | मैं आत्मा, | सर्व को रिगार्ड और सत्कार देने वाली हूँ | |||||||||
१६ | ज़िद्द करना | मैं आत्मा, | सहमती से संगठन बना कर चलने वाला हूँ | |||||||||
१७ | अपनी बातों को सिद्ध करना | मैं आत्मा, | बाप को प्रत्यक्ष करने वाला हूँ | |||||||||
१८ | उदास, निराश होना, दिलशिकस्त होना | मैं आत्मा, | उमंग, उत्साह, हिम्मत और साहस के पंखो पर उड़ने वाला हूँ | |||||||||
१९ | भय, दर, घभराहट | मैं आत्मा, | निडर निर्वेर निर्भय निश्चिंत हूँ | |||||||||
२० | परेशन होना, परेशन करना | मैं आत्मा, | शान्त शीतल निर्मल और सहयोगी हूँ | |||||||||
२१ | लालच करना | मैं आत्मा, | निर्लोभी निर्मोही निर्क्रोधी, इच्छा मात्रम अविद्या हूँ | |||||||||
२२ | आसक्ति रखना | मैं आत्मा, | अनासक्त, उपराम लगाव मुक्त शक्ति स्वरूप हूँ | |||||||||
२३ | संग्रह करनेकी वृति | मैं आत्मा, | ज्ञान रत्नों का सग्रह करने वाली हूँ | |||||||||
२४ | मांगने के संस्कार | मैं आत्मा, | मास्टर दाता हूँ | |||||||||
२५ | तंग करना, दुःख देना | मैं आत्मा, | दुःख ना देनवाली, दुःख ना लेनेवाली, सुख बाँटने वाली हूँ | |||||||||
२६ | इन्डिपेनडेन्ट रहने का संस्कार | मैं आत्मा, | स्नेही हूँ सहयोगी हूँ सिद्धि स्वरुप हूँ | |||||||||
२७ | स्ट्रिक्ट (कड़े) रहने का संस्कार | मैं आत्मा, | रहम दिल नम्र दिल हूँ | |||||||||
२८ | आराम पसंदी, ज़्यादा सोने का संस्कार | मैं आत्मा, | ४ या ५ धंटे सोने वाली अथक अलर्ट और एक्टिव हूँ......... | |||||||||
२९ | नाज़ुकपन | मैं आत्मा, | शक्तिशाली दुर्गा हूँ ......चतुर्भुज विष्णु हूँ........... | |||||||||
३० | काम अधूरा छोडना वा रुचिपूर्वक कार्य ना करना | मैं आत्मा, | हर कार्य दिलसे, विधि पूर्वक करनेवाली, सिद्धिस्वरूप हूँ | |||||||||
३१ | बदला लेना | मैं आत्मा, | बीती सो बीती समझनेवाली क्षमा मूर्त हूँ | |||||||||
३२ | गिरानेकी वृति, ठुकराने की भावना | मैं आत्मा, | परोपकारी हूँ... उपकारी हूँ ...गिरे हुए को उठाने वाली हूँ | |||||||||
३३ | निंदा ग्लानि करना, कॉमेंट क्रिटिसाइज़ करना | मैं आत्मा, | सभीकि विशेषतायें देखनेवाली, स्वचिन्तन&शुभचिंतन करती हूँ | |||||||||
३४ | हंसी मज़ाक उड़ाना | मैं आत्मा, | रोयल शान्त गंभीर और रमणीक हूँ | |||||||||
३५ | ज़्यादा बोलनेका संस्कार, अनावश्यक बोल | मैं आत्मा, | कम, धीरा, मीठा, सोचके , समझके सत्य बोलने वाली हूँ | |||||||||
३६ | कडुवा- पत्थर बोल बोलना | मैं आत्मा, | वरदानी और मधुर वचन बोलनेवाली हूँ | |||||||||
३७ | गाली बोलना, बुरे वचन बोलना | मैं आत्मा, | शुभ बोल, ज्ञान के बोल बोलने वाली हूँ | |||||||||
३८ | झूठ बोलना | मैं आत्मा, | सत्य वचन, शुभ वाणी, ज्ञान के मोती सुनाने वाली हूँ. | |||||||||
३९ | अत्याहार करना, बहुत भोजन खाना | मैं आत्मा, | सात्विक और कम आहार फलाहार करने वाली हूँ | |||||||||
४० | मिया मिटठू बनना| अपनी बडाई करनेका संस्कार | मैं आत्मा, | निमित्त, हूँ, निर्मान हूँ, निर्मल हूँ | |||||||||
४१ | नवाबी चलना, किसीसे सेवा लेना | मैं आत्मा, | मैं आत्मा सिम्पल और रोयल हूँ | |||||||||
४२ | ऑर्डर चलना | मैं आत्मा, | स्नेह प्यार से चलने वाली हूँ | |||||||||
४३ | वाद, विवाद करना, बहस करना | मैं आत्मा, | अंतरमुखी हूँ | |||||||||
४४ | मगरूरी करना, घमंड | मैं आत्मा, | देही अभिमानी हूँ , निरहंकारी, निर्मल, नम्र हूँ | |||||||||
४५ | बुद्धि का अहम | मैं आत्मा, | मन बुद्धि से सम्पूर्ण समर्पित हूँ | |||||||||
४६ | भाव-स्वाभाव में आना-टकराव होना | मैं आत्मा, | आत्मिक भाव वाला एकता एकमत सम्पूर्ण श्रीमत वाला हूँ | |||||||||
४७ | गंदी तृष्णा, कामना रखना | मैं आत्मा, | ऊंच विचार और श्रेष्ठ कामनायें वाली हूँ | |||||||||
४८ | नमकहराम बनना; वचन दे बदल जाना | मैं आत्मा, | वफादार इमानदार अपने वचन पर पक्का हूँ | |||||||||
४९ | अंदर एक, बाहर दूसरा | मैं आत्मा, | सत्य हूँ, साफ़ हूँ, स्वच्छ हूँ, स्पष्ट हूँ | |||||||||
५० | दिखावा, दंभ करना, ढोंग रचाना | मैं आत्मा, | सहज सिम्पल सरल और गुप्त पुरुषार्थी हूँ | |||||||||
५१ | सफलता मे स्वयं, असफलता मे दूसरों को दोषी बनाना | मैं आत्मा, | सभी कि विशेषता देखती हूँ, रिगार्ड देती हूँ, धन्यवाद करती हूँ | |||||||||
५२ | लड़ना, झगड़ना | मैं आत्मा, | मास्टर शान्ति का सागार हूँ | |||||||||
५३ | संगदोष मे समय बरबाद करना | मैं आत्मा, | निरन्तर योगी हूँ | |||||||||
५४ | बड़ों की डायरेक्शन को डोन्ट केर करना | मैं आत्मा, | आज्ञाकारी हूँ, निमित्त के डायरेक्शन फोलो करने वाला हूँ | |||||||||
५५ | मुरली मिस करना | मैं आत्मा, | रेग्युलर मुरली पढ़कर बापदादा वरदान लेने वाला हूँ | |||||||||
५६ | संसार समाचार की लेन-देन करना | मैं आत्मा, | ज्ञान की लेन देन करने वाली मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ | |||||||||
५७ | बड़ों से तू तू कहकर बाते करना | मैं आत्मा, | छोटो- बड़ों सबको रेगार्ड, रिस्पेक्ट, "आप" कहने वाली हूँ | |||||||||
५८ | किसीकि राय को डिसरिगार्ड करना, कट करना | मैं आत्मा, | सर्व के विचारों को सम्मान देने वाली हूँ... | |||||||||
५९ | टोन्ट करना, टोकना | मैं आत्मा, | सभीकी सिर्फ़ विशेषताएँ देखती हूँ, मधुर बोलती हूँ | |||||||||
६० | करेक्षन करना | मैं आत्मा, | खुदको चेक और चेंज करने वाली हूँ | |||||||||
६१ | क्म्पीटीशन करना | मैं आत्मा, | अपनी स्व स्थिति में स्थित होकर तीव्र पुरुषार्थ करती हूँ | |||||||||
६२ | ना करनेका संस्कार | मैं आत्मा, | मम्मा कि तरह, सदा हाँजी करने वाली हूँ | |||||||||
६३ | नाम-मान-शान का भिखारीपन | मैं आत्मा, | अपने नाम से परे, बाप का नाम बाला करता हूँ | |||||||||
६४ | डरबाज, खुश्बाज़ | मैं आत्मा, | सत्य वादी हूँ, युक्तियुक्त हूँ | |||||||||
६५ | सेवा में मैं पन लगाव | मैं आत्मा, | बाप की सेवा निमित्त समझ कर करने वाला हूँ | |||||||||
६६ | पहले मैं व पहले आप का मिसयूज़ | मैं आत्मा, | दूसरों को आगे रखनेवाला, सब को पहले आप करता हूँ | |||||||||
६७ | बिना पूछे किसीकि चीज़ उठाना | मैं आत्मा, | बाप और यज्ञ से ही जरूरी चीज़ लेने वाला हूँ | |||||||||
६८ | रोब दिखना | मैं आत्मा, | सबको नम्रता, और स्नेह से सहयोग देता हूँ | |||||||||
६९ | दो के बिचमें बोलोना | मैं आत्मा, | अपनी सायलेन्स कि शक्ति द्वारा पावरफुल ब्रेक लगाता हूँ | |||||||||
७० | ऊँची आवाज़मे बोलना | मैं आत्मा, | कम, धीरे, मीठा , मधुर, स्वीट उच्चरण करता हूँ | |||||||||
७१ | गपोदशंख बनना; करना कम, कहना ज़्यादा | मैं आत्मा, | अंतर्मुख हूँ, एक्यूरेट हूँ | |||||||||
७२ | श्रीमत मे मनमत, परमत मिलावट करना | मैं आत्मा, | मन्सा, वाचा, कर्मणासे १००% श्रीमत फोलो करनेवाला देवता हूँ | |||||||||
७३ | बेमानी करना, बेवफा बनना | मैं आत्मा, | आज्ञाकारी वफादार फरमानबरदार इमानदार हूँ | |||||||||
७४ | बार-बार ग़लती को दोहराना, गफलत करना | मैं आत्मा, | सावधान होशियार खबरदार अलर्ट और सम्पूर्ण अटेंशनवाला हूँ | |||||||||
७५ | वहम, अनुमान शंका करना | मैं आत्मा, | सर्व पर विश्वास और रहम करनेवाला हूँ | |||||||||
७६ | लज्जा करना, संकोच करना | मैं आत्मा, | शक्तिस्वरूप हूँ | |||||||||
७७ | अवगुण देखनेकी वृत्ति, परदर्शन | मैं आत्मा, | गुणग्राहक हूँ, निर्दोषद्रष्टिकोण हूँ | |||||||||
७८ | शारीरिक अस्वच्छता | मैं आत्मा, | शरीरी रूपी मंदिर को स्वच्छ रखने वाली चैतन्यमूर्ती हूँ | |||||||||
७९ | अश्लील साहित्या पढ़ना | मैं आत्मा, | एक बाप से ही पढने वाला बाप से ही सुनने वाला हूँ | |||||||||
८० | स्पेशल पर्सनल लेन-देन का व्यवहार करना | मैं आत्मा, | एक बाप से ही लेन-देन करने वाला एकनामी ब्राह्मण हूँ | |||||||||
८१ | बात को छिपाना बात को बदल देना | मैं आत्मा, | नर से नारायण बननेवला सत्यवादी हूँ | |||||||||
८२ | परपंच रखना, छूतीपन के संस्कार | मैं आत्मा, | स्वचिंतन और शुभचिंतन करने वाला हूँ | |||||||||
८३ | अपने हाथ में लॉ उठाना | मैं आत्मा, | साक्षी दृष्ता हूँ | |||||||||
८४ | निष्ठूर बनना, बेरहम | मैं आत्मा, | मिलनसार रहम दिल हूँ | |||||||||
८५ | मूंझना, उलझना, कन्फ्यूज़ होना | मैं आत्मा, | सच हूँ, स्पष्ट हूँ, सॉफ हूँ | |||||||||
८६ | तनाव, डिप्रेशन, चिंता | मैं आत्मा, | ५ स्वरूप की ड्रिल हर घण्टे करता हूँ | |||||||||
८७ | ज़ोर ज़ोर से हंसाना | मैं आत्मा, | गंभीर हूँ, रमणीक हूँ, अंतर्मुखी हूँ | |||||||||
८८ | अविश्वास रखना | मैं आत्मा, | निश्चय बुद्धि हूँ, मेरा तो एक बाप दूसरा ना कोई | |||||||||
८९ | बहाना बनाना, सेवा में आनाकानी करना | मैं आत्मा, | आज्ञाकारी, फरमानबरदारी हूँ |
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