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Monday, April 30, 2012

Murli 30 April


30-04-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - निश्चय करो, हमारा जो कुछ है सो बाप का है, फिर ट्रस्टी होकर सम्भालो तो सब पवित्र हो जायेगा, तुम्हारी पालना शिवबाबा के भण्डारे से होगी'' 
प्रश्न :- शिवबाबा पर पूरा बलि चढ़ने के बाद कौन सी सावधानी रखना बहुत जरूरी है? 
उत्तर: तुम जब बलि चढ़े तो सब कुछ शिवबाबा का हो गया फिर कदम-कदम पर राय लेनी पड़े। अगर कोई कुकर्म किया तो बहुत पाप चढ़ जायेगा। जो पैसा शिवबाबा का हो गया, उससे कोई पाप कर्म कर नहीं सकते क्योंकि एक-एक पैसा हीरे मिसल है, इसकी बहुत सम्भाल करनी है। कुछ भी व्यर्थ न जाये। बाबा तुम्हारा कुछ लेते नहीं लेकिन जो पैसा तुम्हारे पास है, वह मनुष्यों को कौड़ी से हीरे जैसा बनाने की सेवा में लगाना है। 
गीत:- आज अन्धेरे में है इन्सान..... 


धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) सच्ची कमाई कर हाथ भरतू करके जाना है। एक बाप से सच्चा सौदा करने वाला सच्चा व्यापारी बनना है। 
2) हृदय को शुद्ध बनाने के लिए बाप की याद में रह ब्रह्मा भोजन बनाना है। योगयुक्त भोजन खाना और खिलाना है। विकारों को तज ज्ञान रत्नों से सजना और सजाना है 
वरदान: सदा विजय की स्मृति से हर्षित रहने और सर्व को खुशी दिलाने वाले आकर्षण मूर्त भव 
हम कल्प-कल्प की विजयी आत्मा हैं, विजय का तिलक मस्तक पर सदा चमकता रहे तो यह विजय का तिलक औरों को भी खुशी दिलायेगा क्योंकि विजयी आत्मा का चेहरा सदा ही हर्षित रहता है। हर्षित चेहरे को देखकर खुशी के पीछे स्वत: ही सब आकर्षित होते हैं। जब अन्त में किसी के पास सुनने का समय नहीं होगा तब आपका आकर्षण मूर्त हर्षित चेहरा ही अनेक आत्माओं की सेवा करेगा। 
स्लोगन: अव्यक्त स्थिति की लाइट चारों ओर फैलाना ही लाइट हाउस बनना है। 

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