Popular Posts

Thursday, April 5, 2012

Murli 05 April


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाबा आया है तुम बच्चों से दान लेने, तुम्हारे पास जो भी पुराना किचड़ा है, उसे दान दे दो तो पुण्य आत्मा बन जायेंगे'' 
प्रश्न :- पुण्य की दुनिया में चलने वाले बच्चों प्रति बाप की श्रीमत क्या है? 
उत्तर: मीठे बच्चे - पुण्य की दुनिया में चलना है तो सबसे ममत्व मिटाओ। 5 विकारों को छोड़ो। इस अन्तिम जन्म में ज्ञान चिता पर बैठो। पवित्र बनो तो पुण्य आत्मा बन पुण्य की दुनिया में चले जायेंगे। ज्ञान-योग को धारण कर अपनी दैवी चलन बनाओ। बाप से सच्चा सौदा करो। बाप तुम्हारे से लेते कुछ नहीं, सिर्फ ममत्व मिट जाये, उसकी युक्ति बताते हैं। बुद्धि से सब बाप हवाले कर दो। 
गीत:- इस पाप की दुनिया से..... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपना खाता खराब न हो, इसके लिए बहुत खबरदार रहना है। कभी कुल कलंकित नहीं बनना है। पढ़ाई रोज़ पढ़नी है, मिस नहीं करनी है। 
2) श्रवणकुमार-कुमारी बन ज्ञान कवांठी (कांवर) पर सबको बिठाना है। मित्र-सम्बन्धियों को भी ज्ञान दे उनका कल्याण करना है। 
वरदान: सच्चे वैष्णव बन पवित्रता की श्रेष्ठ स्थिति का अनुभव करने वाले सम्पूर्ण पवित्र भव 
सम्पूर्ण पवित्रता की परिभाषा बहुत श्रेष्ठ और सहज है। सम्पूर्ण पवित्रता का अर्थ है स्वप्न-मात्र भी अपवित्रता मन और बुद्धि को टच नहीं करे-इसी को कहा जाता है सच्चे वैष्णव। चाहे अभी नम्बरवार पुरूषार्थी हो लेकिन पुरूषार्थ का लक्ष्य सम्पूर्ण पवित्रता है और यह सहज भी है क्योंकि असम्भव से सम्भव करने वाले सर्वशक्तिमान् बाप का साथ है। 
स्लोगन: सहजयोगी वह है जो हठ वा मेहनत करने के बजाए रमणीकता से पुरूषार्थ करे। 

No comments:

Post a Comment