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Tuesday, December 27, 2011

Todays murli 27 Dec.


[27-12-2011]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - संगम की इन अमूल्य घड़ियों में श्वाँसों श्वाँस बाप को याद करो, तुम्हारी एक भी श्वाँस व्यर्थ न जाये''
प्रश्न: इस समय तुम्हारा मनुष्य जीवन बहुत-बहुत वैल्युबुल है - कैसे?
उत्तर: इस जीवन में तुम बाप के बच्चे बन बाप से पूरा वर्सा लेते हो। इसी मनुष्य तन में पुरुषार्थ कर तुम कौड़ी से हीरे जैसा बनते हो। बेगर से प्रिन्स, इनसालवेन्ट से 100 परसेन्ट सालवेन्ट बनते हो इसलिए तुम्हें इस समय को व्यर्थ नहीं गँवाना है। हर श्वाँस बाप की याद में रहकर सफल करना है। कर्म करते भी याद में रहना है।
गीत:- यह वक्त जा रहा है....
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपना तथा दूसरों का जीवन हीरे जैसा बनाने की सेवा करते रहना है। टाइम, मनी, एनर्जी बरबाद नहीं करना है।
2) दूसरों का कल्याण करने के साथ-साथ अपना भी कल्याण करना है। बुद्धि रूपी झोली में ज्ञान रत्न धारण कर दान भी करना है।
वरदान: एक बाप की स्मृति से सच्चे सुहाग का अनुभव करने वाले भाग्यवान आत्मा भव
जो किसी भी आत्मा के बोल सुनते हुए नहीं सुनते, किसी अन्य आत्मा की स्मृति संकल्प वा स्वपन में भी नहीं लाते अर्थात् किसी भी देहधारी के झुकाव में नहीं आते, एक बाप दूसरा न कोई इस स्मृति में रहते हैं उन्हें अविनाशी सुहाग का तिलक लग जाता है। ऐसे सच्चे सुहाग वाले ही भाग्यवान हैं।
स्लोगन: अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनानी है तो अन्तर्मुखी बन फिर बाह्यमुखता में आओ। 

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