28-12-11:
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम अभी सच्चे-सच्चे सतसंग में बैठे हो, तुम्हें सचखण्ड में जाने का मार्ग सत्य बाप बतला रहे हैं''
प्रश्न: किस निश्चय के आधार पर पावन बनने की ताकत स्वत: आती है?
उत्तर: यदि निश्चय हो कि इस मृत्युलोक में अब हमारा यह अन्तिम जन्म है। इस पतित दुनिया का विनाश होना है। बाप की श्रीमत है पावन बनो तो पावनदुनिया के मालिक बनेंगे। इस बात के निश्चय से पावन बनने की ताकत स्वत: आती है। गीम:- आखिर वह दिन आया आज...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) हड्डी सुख का अनुभव करने के लिए बाप जो पढ़ाते हैं, उसे बुद्धि में धारण करना है। विचार सागर मंथन करना है।
2) इस कब्रिस्तान को देखते भी नहीं देखना है। हियर नो ईविल, सी नो ईविल...। नई दुनिया के लायक बनना है।
1) हड्डी सुख का अनुभव करने के लिए बाप जो पढ़ाते हैं, उसे बुद्धि में धारण करना है। विचार सागर मंथन करना है।
2) इस कब्रिस्तान को देखते भी नहीं देखना है। हियर नो ईविल, सी नो ईविल...। नई दुनिया के लायक बनना है।
वरदान: ईश्वरीय भाग्य में लाइट का क्राउन प्राप्त करने वाले सर्व प्राप्ति स्वरूप भव
दुनिया में भाग्य की निशानी राजाई होती है और राजाई की निशानी ताज होता है। ऐसे ईश्वरीय भाग्य की निशानी लाइट का क्राउन है। और इस क्राउन की प्राप्ति का आधार है प्युरिटी। सम्पूर्ण पवित्र आत्मायें लाइट के ताजधारी होने के साथ-साथ सर्व प्राप्तियों से भी सम्पन्न होती हैं। अगर कोई भी प्राप्ति की कमी है तो लाइट का क्राउन स्पष्ट दिखाई नहीं देगा।
स्लोगन: अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाले ही मन्सा महादानी हैं।
No comments:
Post a Comment