[05-12-2011]
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हारा चेहरा सदा खुशनुम: हो, बोल में हिम्मत और स्प्रिट हो, तो तुम्हारी बात का प्रभाव पड़ेगा''
प्रश्न: कौन सी ड्युटी व कर्तव्य बाप का है, जो कोई भी मनुष्य नहीं कर सकता?
उत्तर: विश्व में शान्ति स्थापन करना वा पतित सृष्टि को पावन बनाना, यह ड्युटी बाप की है। कोई भी मनुष्य विश्व में पीस कर नहीं सकते। भल कान्फ्रेन्स आदि करते हैं, पीस प्राइज़ देते हैं लेकिन पीस स्थापन तब हो जब पहले प्योरिटी में रहे। प्योरिटी से ही पीस और प्रासपर्टी मिलती है। बाप आकर ऐसी पवित्र दुनिया स्थापन करते हैं, जहाँ पीस होगी।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) याद शिवबाबा को करना है, फालो ब्रह्मा बाबा को करना है। ब्रह्मा बाप के समान ऊंच पुरूषार्थ करना है। ईश्वरीय नशे में रहना है।
2) तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है, बाकी किसी बात की परवाह नहीं करनी है। कदम-कदम श्रीमत पर चलना है।
वरदान- इस हीरे तुल्य युग में हीरा देखने और हीरो पार्ट बजाने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव
जैसे जौहरी की नज़र सदा हीरे पर रहती है, आप सब भी ज्वेलर्स हो, आपकी नज़र पत्थर की तरफ न जाये, हीरे को देखो। हर एक की विशेषता पर ही नज़र जाये। संगमयुग है भी हीरे तुल्य युग। पार्ट भी हीरो, युग भी हीरे तुल्य, तो हीरा ही देखो तब अपने शुभ भावना की किरणें सब तरफ फैला सकेंगे। वर्तमान समय इसी बात का विशेष अटेन्शन चाहिए। ऐसे पुरूषार्थी को ही तीव्र पुरूषार्थी कहा जाता है।
स्लोगन: वायुमण्डल वा विश्व को परिवर्तन करने के पहले स्व-परिवर्तन करो।
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