Sweet Lovely Angels.....
बचपन के दिनों में मै बाबा से पूछती थी, "बाबा...आप ने मम्मा-बाबा को और दादा-दादियो को स्वयं आकर पढाया....और कितना Time दिया.....हमें क्यों नही दिया वो chance?...... आज मै बाबा से sorry कहती हुं क्योकि मम्मा-बाबा को भी शिवबाबा special tuition नही दिया है.....मगर मुझे दिया है....जब पहली बार 9 बार मुरली पढने की लक्ष्य रखा तो (दृढ संगल्प).....College से 3 months study leave announce हुवा.....और बाबा मुरली की एक dozen photostats हाथ में दिया और कहा......"9 बार मुरली पढने केलिए अगर 9 hour चाहिए तो भी ले लो....अब नही कहना की Time नही दिया बाबा ने.....मै हुद पढ़ता हुं.....तो ये नही कहना की केवल मम्मा-बाबा को ही पढाया है...."......जब job में बहुत busy होते हुए भी....over time work करते हुए भी....मुरली पढने की लक्ष्य रखा तो.....office में work इतना कम होगया की...office में सब बैठ कर bore होने लगे और बाबा बैठ कर मुझे पढ़ाने लगे.....(हां! किसी दिन माया भी आती थी.....और मुझे रात को 12.00 am तक बैठ कर बाबा पढ़ाते थे.....क्योकि chart रखा है ना.....promise किया है ना.....और मुरली पढना तो सब से आसान पुरुषार्थ है....वो भी नही कर पाई तो बाप को क्या मुख दीखायेंगे?.....) बाबा मुझे इतना Time दिया (24 hours in a day).....और हुद पढाया की मै बाबा से.....ये कबी नही कहूँगी की.....मुझे Time नही मिला था.....या आप मुझे ये पढाया ही नही....बाबा का एक-एक मुरली में सारा ज्ञान है........कोई बच्चा अगर बाबा का.....केवल एक ही मुरली सुना हो....वो भी ShivBaba से ये नही कह सकता की हमें आप सब कुछ सुनाया ही नही....पढाया नही.....या Time नही दिया.......
मै बाबा से पूछती थी....आप दादियो को 70 years दिया....हमें क्यों नही दिया?......तो बाबा कहते थे...."तुम्हे उसकी कोई ज़रूरत नही है....".....तो मै मानती थी....समझती थी....हां!, मेरा बाबा कहे तो सच ही है.....मगर ये सच कैसे है?....इसका राज़ क्या है?..... आज जानती हुं....जो बाप के बच्चे....Last आते है....उन्हें बाबा एसी मन-बुद्धि दिया है...की.....सूना...समझा....मान लिया....अन्दर मन स्वीकार किया....तो धारणा होगयी...परिवर्तन हो गयी.....वो बहुत Fast होते है....वो बहुत sensible होते है....की pick-up करके आगे निकल जायेंगे....
जो last में आने वाले है (सब नही....कुछ बच्चे...).... वो एसे होगी की.....केवल सुनने से स्वपरिवर्तन कर लेंगे........और आगे No: ले लेंगे....उनका speed का बाबा कितना वर्णन करते है की....Coming Last -so- Going Fast, Going Fast -so- Coming First......वो इतनी speed से सब कुछ pickup कर देंगे की....सब के मुख से निकलेंगे....
Wah! Last -so- Fast -so- First बच्चे! Wah!
Wah! Baba! Wah!
मै पहले बाबा से पूछती थी......इतना तूफान मेरे पीछे क्यों आते है बाबा?.....तो बाबा कहते थे, "एक बार तुम जाग गयी ना भीर माया का सर्वनाश हो जायेंगे....इसलिए वो तुम्हे जाग ने से रोक ने की कोशिश कर रही है....."....तो मै कहती थी, "क्या?????????!!!! अबी तक मै जागी नही बाबा?......"....तो बाबा कहते थे, "हां! तुम जागी नही है.....केवल introduction ही हुवा है...."....तो पूछा, "मै कब जागुंगी बाबा?...और कैसे जागुंगी बाबा?....."...बाबा कहा, "तुम अपनी विशेषतावो की, गुणों की, शक्तियों की, कलावो की एक List बनावो.....बाकि बाप पर छोड़ दो....(खज़ाना) भरना बाप का काम है....मगर ये कदम तुम्हे ही रखना होगा.......List बनाएगी....तो मदत बाबा करेंगे.."...तो मै बुद्धि में एक paper और pen लेकर बैठ गयी....मगर List नही बना पाई.....और बाबा से कहती थी....."मुझे तो कुछ नही दिखायी देता बाबा......एसे क्या है....जो आप देखते हो???"....तो बाबा कहा...., "ढुंढ़ो बच्चे....ढुंढ़ो ......एक एसी विशेषता....चलो कमजोरी भी हो.....(कमजोरी में भी......एक शक्ति....एक कला....गुप्त रूप में छुपा है.....उसे हमें ढुंढ़ो कर निकाल....विशेषता में परिवर्तन करना है....)....जो सब कहते है....मानते है की तुम मै है!!!"........तो धीरे-धीरे List बनने लगी......मै केवल उसे ढुंढ़ निकालने की कोशिष किया और List में डाला तो बाबा उसे.....खज़ाना बना दिया...भरने लगा........मै, List बनाती रहती हुं....बाबा उसे भरते रहते है.......
For Example: (before getting knowledge)
मै एसी थी की....किसी को भी...."मेरा Friend" ये Title ज ल्दी नही देती थी.....और "Best Friend" का Title बचपन से भगवन को दिया था......एक दिन एक दोस्त (a friend from 11th) झगडा करते देखा तो मै उनके दोस्तों से (college friends) से कहा...तुम लोग क्या देख रहे हो....जावो जाकर उसे ले आवो....तो सब कहे, "हम कहेंगे तो वो मानेंगे नही....और शेर के सामने सिर जाकर रखने की हमें हिम्मत ही नही.....तुम कहो ना!.....वो तुम्हारी बात ज़रूर मानेगी...."....मुझे कही भी जाकर interfere करना पसंत नही थी.....तो मै देखती रही.....'ये किस हद तक जायेगी?!!.....'....तो दोनों गाली देने शुरू होने लगा तो मै chair से उठ कर उसके और देखा तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ा....तो मै मुस्कुराते हुवे.....हाथ से इशारा दिया, "मेरे पास आवो.....".....मगर वो एक warning! थी....क्योकि उसे अच्छी रिती पता था....की मुझे गाली बिलकुल पसंत नही....(अगर गलती से मुख से कुछ निकला तो...वो क्षण में change करती थी.....) इसलिए वो क्षण में शांत हो गयी...मगर चुप नही हुवा....और चल कर मेरे सामने आई तो चुप होगयी.....और मुझे cross करते अपने seat पर जाकर बैठी.....मै उसे कुछ नही कहा....क्योकि अगर कुछ भी कहा होता तो वो रोने लगेगी.....
मै college में बहुत शांत और साधारण रहती थी......अगर कुछ गलत सुना तो भी मै चुप रहती थी.....जलदी किसी भी बात में interfere नही करती.....एक दिन professor ने पढ़ाते वक्त, eg: केलिए एक बात कहा....तो कोई भी बच्चे माना नही....मै अपने एक दोस्त से कहा, 'इने ये क्या हो गया है.....अगर उने पता नही तो चुप रहना चाहिए ना......मेरे पास proof है......' ......half hour से ज्यादा.....बच्चे और professor के बिच वाद-विवाद होती रही.....और last में professor ने बहुत दृढता पूर्वक finalize कर दिया.....तो सोचा अब तो इसके सिर पर मारना होगा...., तो मुख से निकल गयी...."क्या?!!!!?"......तो पूरा class silent होगये......professor statue की तरह होगया और मेरा आवाज़ identify किया.....और बहुत जलदी text पकड़ कर पढ़ाने लगा.....क्योकि वो जनता था अगर मै कुछ कहूँगी....तो सच ही कहूँगी और proof के साथ कहूँगी....(कई बार बिना कोई कारण मेरे पास आकर हुद challenge कर....हार माना है)......और मै एसे मुख खुले बैठ गयी.........मगर मै कुछ कहा नही....क्योकि मै उन्हें insult करना नही चाहते थे....वो अच्छा professor था......और उन्हें समझ में आया की जो वो कह रहा था वो wrong था.....
From these scenes, मै कला निकाला....इशारो से किसी को शांत और चुप करने की कला कही छुपी है........साधारण है मगर शक्तिशाली है.....सच मुझे सबसे पसंद है....केवल एक शब्द से, किसी के अन्दर जो ज्ञान है उसे परिवर्थान करने की कला कही छुपा है........etc....etc.....
अगर अपने कलावो को.....अपने शक्तियो को पहचाना नही.....तो जलती-जलती....ढूंढ निकालो!!!
In Loving Remembrance Of Baba,
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