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Wednesday, December 7, 2011

Murli 7 Dec


[07-Dec-2011]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - यह सुहावना कल्याणकारी संगमयुग है, जिसमें स्वयं बाप आकर पतित भारत को पावन बनाते हैं''
प्रश्न: संगमयुग पर जब बाप आते हैं तो उनके आने से ही कौन सा इशारा मिल जाता है?
उत्तर: इस पुरानी दुनिया के अन्त होने का इशारा सबको मिल जाता है क्योंकि बाप आते ही हैं पतित सृष्टि का अन्त करने, इसलिए विनाश का साक्षात्कार भी होता है। अभी तुम्हें नई दुनिया के झाड़ सामने दिखाई दे रहे हैं।
गीत:- तुम्हें पाके हमने ...

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) चढ़ती कला में जाने के लिए उठते-बैठते एक बाप की याद में रहना है। बाप समान सभी पर उपकार करना है।
2) ज्ञान अमृत पीना और पिलाना है। कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है।
वरदान: अपने सहयोग से निर्बल आत्माओं को वर्से का अधिकारी बनाने वाले वरदानी मूर्त भव
अब वरदानी मूर्त द्वारा संकल्प शक्ति की सेवा कर निर्बल आत्माओं को बाप के समीप लाओ। मैजारिटी आत्माओं में शुभ इच्छा उत्पन्न हो रही है कि आध्यात्मिक शक्ति जो कुछ कर सकती है वह और कोई नहीं कर सकता। लेकिन आध्यात्मिकता की ओर चलने के लिए अपने को हिम्मतहीन समझते हैं। उन्हें अपने शक्ति से हिम्मत की टांग दो तब बाप के समीप चलकर आयेंगे। अब वरदानी मूर्त बन अपने सहयोग से उन्हें वर्से के अधिकारी बनाओ।
स्लोगन: अपने परिवर्तन द्वारा सम्पर्क, बोल और सम्बन्ध में सफलता प्राप्त करने वाले ही सफलतामूर्त हैं।

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