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Tuesday, December 27, 2011

विचार सागर मंथन: दिसंबर २७, २०११


 शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: दिसंबर २७२०११
बाबा की महिमा: परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा...सत बाप...सत टीचर...सत गुरु...ज्ञान का सागर...सदगति दाता...  पतित पावन...अविनाशी सर्जन...


स्वमान और आत्मा अभ्यास: 
१. हम  सौभाग्यशालि आत्माएँआवाज़ से परे रहनेके स्वधर्मवालेइस अमूल्य पुरुषोत्तम संगम युगमें,  हर संकल्पहर सेकण्ड हर श्वास से बाप को याद कर पूरा वर्सा लेनेवालेकौड़ी से हीरे,  बेगर टू प्रिन्सइन्सालवेन्ट से १००%  सालवेन्ट बननेवालेहर श्वास सफल करनेवालेजीवन मुक्ति पाकर एक्यूरेत नई दुनिया में आनेवाले,  फुल  जागती ज्योत वाले 
सर्विसेबुल कर्मयोगी हैं...
२. हम  पारस बुद्धि  आत्माएँमनजीतमायाजीतप्रकृतिजीत,  जगतजीत हैं... इस अनादि अविनाशी ड्रामा में,  पुण्यात्मादेवात्मा,  धर्मात्मा,  महान आत्मा हैं...अविनाशी सर्जन से मनमनाभव का इंजेक्शन लेकर २१  जन्मों के लिए एवर हेल्दी  बननेवालेबुद्धि रूपी झोली में ज्ञान रत्न धारण कर ज्ञान का दान करनेवालेअपना तथा औरों का जीवन हीरे तुल्य बनानेवाले,  टाइम,  मनीएनर्जी सफल करनेवाले विष्व सेवाधारीविष्व परिवर्तकविष्व कल्याणकारी हैं...
३. मेरा तो एक बाप दूसरा ना कोई...इस स्मृति में एक्टिकएकरसएकाग्र रहनेवालेकिसी अन्य आत्मा की स्मृति संकल्प वा स्वप्न में भी नहीं लानेवालेकिसी देहधारी के लगाव वा झुकाव में नहीं आनेवालेहम  भाग्यवान आत्माएँअविनाशी सच्चे सुहाग के तिलक से श्रृंगारितअंतर्मुखी हैं...  
रसीले पायंट्स:
a. इस समय शरीर को तकलीफ़ देनायह भी तो महपाप है...
b. 
जीवन मुक्ति एक सेकण्ड में बिना कौड़ी खर्चा मिल सकती है....
c. 
गुल बकावलीअल्लाह अवलदीनहातमताईकन्स वधअमृत मंथन,  के खेल सब इस समय के है...

Om Shanti Divine Angels !!!
Points to Churn: Murli of December 27, 2011:

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