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Friday, December 30, 2011

Murli 30 Dec


30 -12-11:
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ऊंच पद का आधार पढ़ाई और याद की यात्रा पर है इसलिए जितना चाहो उतना गैलप कर लो''
 प्रश्न: कौन सा गुह्य राज़ पहले-पहले नहीं समझाना हैक्यों
उत्तर: ड्रामा का जो गुह्य राज़ हैवह पहले-पहले नहीं समझाना है क्योंकि कई मूँझ जाते हैं। कहते हैं ड्रामा में होगा तो आपेही राज्य मिलेगा। आपेही पुरुषार्थ कर लेंगे। ज्ञान के राज़ को पूरा न समझ मतवाले बन जाते हैं। यह नहीं समझते कि पुरुषार्थ बिना तो पानी भी नहीं मिलेगा। गीत:- भोलेनाथ से निराला... 


धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) 
जैसे ब्रह्मा बाप सरेन्डर हुआऐसे फालो फादर करना है। अपना सब कुछ ईश्वर अर्थ कर ट्रस्टी बन ममत्व मिटा देना है।
2) 
लास्ट आते भी फास्ट जाने के लिए याद और पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। 
वरदान: मालिकपन की स्मृति द्वारा हाइएस्ट अथॉरिटी का अनुभव करने वाले कम्बाइन्ड स्वरूपधारी भव
 पहले अपने शरीर और आत्मा के कम्बाइन्ड रूप को स्मृति में रखो। शरीर रचना हैआत्मा रचता है। इससे मालिकपन स्वत: स्मृति में रहेगा। मालिकपन की स्मृति से स्वयं को हाइएस्ट अथॉरिटी अनुभव करेंगे। शरीर को चलाने वाले होंगे। दूसरा - बाप और बच्चा (शिवशक्ति) के कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति से माया के विघ्नों को अथॉरिटी से पार कर लेंगे। 
स्लोगन: विस्तार को सेकण्ड में समाकर ज्ञान के सार का अनुभव करो और कराओ।

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