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Friday, December 23, 2011

Todays Murli 23 dec.11


Murli Point - Hindi

[23-12-2011]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें राजयोग सिखलाने, बाप के सिवाए कोई भी देहधारी तुम्हें राजयोग सिखला नहीं सकता''
प्रश्न: तीव्र भक्ति करने से कौन सी प्राप्ति होती है, कौन सी नहीं?
उत्तर: कोई तीव्र भक्ति करते हैं तो दीदार हो जाता है। बाकी सद्गति तो किसी की होती नहीं। वापस कोई भी जाता नहीं। बाप के बिना वापिस कोई भी ले नहीं जा सकता। तुम इस बने बनाये ड्रामा को जानते हो। तुम्हें आत्मा का यथार्थ ज्ञान है। आत्मा ही स्वर्गवासी और नर्कवासी बनती है।

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) कभी किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है। मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई, यह पाठ पक्का करना है।
2) बाप समान रूहानी पण्डा बनकर सबको घर का रास्ता बताना है। अन्धों की लाठी बनना है।
वरदान: परतन्त्रता के बंधन को समाप्त कर सच्ची स्वतन्त्रता का अनुभव करने वाले मास्टर सर्वशक्तिवान भव
विश्व को सर्व शक्तियों का दान देने के लिए स्वतन्त्र आत्मा बनो। सबसे पहली स्वतन्त्रता पुरानी देह के अन्दर के संबंध से हो क्योंकि देह की परतंत्रता अनेक बंधनों में न चाहते भी बांध देती है। परतंत्रता सदैव नीचे की ओर ले जाती है। परेशानी वा नीरस स्थिति का अनुभव कराती है। उन्हें कोई भी सहारा स्पष्ट दिखाई नहीं देता। न गमी का अनुभव, न खुशी का अनुभव, बीच भंवर में होते हैं इसलिए मास्टर सर्वशक्तिवान बन सर्व बंधनों से मुक्त बनो, अपना सच्चा स्वतन्त्रता दिवस मनाओ।
स्लोगन: 

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