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Tuesday, May 15, 2012

Murli 15 May Hindi & English

15-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन 
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - अब बाप समान देही-अभिमानी बनो, बाप की यही चाहना है कि बच्चे मेरे समान बन मेरे साथ घर में चलें'' 
प्रश्न: तुम बच्चे किस बात का वन्डर देखते बाप की शुक्रिया गाते हो? 
उत्तर: तुम वन्डर देखते बाबा कैसे अपनी फ़र्ज-अदाई निभा रहे हैं। अपने बच्चों को राजयोग सिखलाए लायक बना रहे हैं। तुम बच्चे अन्दर ही अन्दर ऐसे मीठे बाबा की शुक्रिया गाते हो। बाबा कहते यह शुक्रिया शब्द भी भक्ति मार्ग का है। बच्चों का तो अधिकार होता है, इसमें शुक्रिया की भी क्या बात। ड्रामा अनुसार बाप को वर्सा देना ही है। 
गीत:- जिसका साथी है भगवान..... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) कल्प के संगम पर योग बल से दु:ख का चौपड़ा (हिसाब-किताब) चुक्तू करना है। नया जमा करना है। ज्ञान रत्नों को धारण कर गुणवान बनना है। 
2) मैं आत्मा हूँ, आत्मा भाई से बात करती हूँ, शरीर विनाशी है। मैं अपने भाई आत्मा को सन्देश सुना रही हूँ। ऐसी प्रैक्टिस करनी है। 
वरदान: साधारण जीवन में भावना के आधार पर श्रेष्ठ भाग्य बनाने वाले पदमापदम भाग्यवान भव 
बापदादा को साधारण आत्मायें ही पसन्द हैं। बाप स्वयं भी साधारण तन में आते हैं। आज का करोड़पति भी साधारण है। साधारण बच्चों में भावना होती है और बाप को भावना वाले बच्चे चाहिए, देह-भान वाले नहीं। ड्रामानुसार संगमयुग पर साधारण बनना भी भाग्य की निशानी है। साधारण बच्चे ही भाग्य विधाता बाप को अपना बना लेते हैं इसलिए अनुभव करते हैं कि ''भाग्य पर मेरा अधिकार है।'' ऐसे अधिकारी ही पदमापदम भाग्यवान बन जाते हैं। 
स्लोगन: सेवाओं में दिल बड़ी हो तो असम्भव कार्य भी सम्भव हो जायेगा। 


Essence: Sweet children, now become soul conscious, the same as the Father. The Father’s only desire is that the children become the same as Him and return home with Him. 
Question: On seeing which wonder do you children thank the Father? 
Answer: The wonder you see is how Baba fulfils His duty. He is teaching His children Raja Yoga and making them worthy. Internally, you children say thank you to such a sweet Baba. Baba says: This word ‘thanks’ belongs to devotion. Children have a right; there is no question of thanking Him for this. According to the drama the Father has to give the inheritance. 
Song: What can storms do to those whose Companion is God? 

Essence for dharna: 
1. At the confluence of the cycles, settle the accounts of sorrow with the power of yoga and accumulate in your new account. Imbibe jewels of knowledge and become virtuous. 
2. I am a soul. I am speaking to a soul, my brother. This body is perishable. Practise: I am giving the message to my brother soul. 

Blessing: May you be multimillion times fortunate and create multimillion fold fortune on the basis of pure feelings in your ordinary life. 
BapDada loves ordinary souls. The Father Himself incarnates in an ordinary body. Even the millionaires of today are ordinary. Ordinary children have pure feelings (bhavna) and the Father wants children with bhavna, not those with body consciousness (deh-bhaan). According to the drama, to be ordinary at the confluence age is also a sign of fortune. Only the ordinary children make the Father, the Bestower of Fortune, belong to them and this is why they experience fortune to be their birthright. Only those who feel they have such a right become multimillion times fortunate. 
Slogan: When you have a big heart in service, even impossible tasks will become possible. 

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