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Wednesday, May 9, 2012

Murli 09 April Hindi & English

09-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन 
मुरली सार : ''मीठे बच्चे - बाप ही सतगुरू के रूप में तुम बच्चों से गैरन्टी करते हैं, बच्चे मैं तुम्हें अपने साथ वापस ले जाऊंगा, यह गैरन्टी कोई देहधारी कर न सके'' 
प्रश्न: तुम बच्चे यह कथा जो सुन रहे हो, यह पूरी कब होगी? 
उत्तर: जब तुम फरिश्ते बन जायेंगे। कथा सुनाई जाती है पतित को। जब पावन बन गये तो कथा की दरकार नहीं, इसलिए सूक्ष्मवतन में पार्वती को शंकर ने कथा सुनाई - यह कहना ही रांग है। 
प्रश्न:- शिवबाबा की महिमा में कौन से शब्द राइट हैं, कौन से रांग? 
उत्तर:- शिवबाबा को अभोक्ता, असोचता, करनकरावनहार कहना राइट है। बाकी अकर्ता कहना राइट नहीं क्योंकि वह पतितों को पावन बनाते हैं। 
गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन...... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) शान्ति के सागर बाप से शान्ति - सुख का वर्सा ले शान्त चित रहना है। कभी किसी को दु:ख दे अशान्त नहीं करना है। लूनपानी नहीं होना है। 
2) बाप समान अन्धों की लाठी बनना है। बाप की मदद लेने के लिए निश्चयबुद्धि बन सेवा करना है। 
वरदान: दिव्य बुद्धि द्वारा सदा दिव्यता को ग्रहण करने वाले सफलतामूर्त भव 
बापदादा द्वारा जन्म से ही हर बच्चे को दिव्य बुद्धि का वरदान प्राप्त होता है, जो इस दिव्य बुद्धि के वरदान को जितना कार्य में लगाते हैं उतना सफलतामूर्त बनते हैं क्योंकि हर कार्य में दिव्यता ही सफलता का आधार है। दिव्य बुद्धि को प्राप्त करने वाली आत्मायें अदिव्य को भी दिव्य बना देती हैं। वह हर बात में दिव्यता को ही ग्रहण करती हैं। अदिव्य कार्य का प्रभाव दिव्य बुद्धि वालों पर पड़ नहीं सकता। 
स्लोगन: स्वयं को मेहमान समझकर रहो तो स्थिति अव्यक्त वा महान बन जायेगी। 



Essence: Sweet children, only the Father, in the form of Satguru, gives you this guarantee: Children, I shall take you back home with Me. No bodily being can give this guarantee. 
Question: When will this story which you children are listening to come to an end? 
Answer: When you become angels. A religious story is told to those who are impure. There will be no need to listen to this story when you have become pure. This is why it is wrong to say that Shankar told this story to Parvati in the subtle region. 
Question: In the praise of Shiv Baba, which words are right and which are wrong? 
Answer: To say that Shiv Baba is free from the result of karma (Abhogta), free from other thoughts (Asochta) and the One who gets everything done through others (Karankaravanhar) is right. However, to say that He does not do anything (Akarta) is not right, because He purifies the impure. 
Song: Leave Your throne of the sky and come down to this earth. 

Essence for dharna: 
1. Claim your inheritance of peace and happiness from the Father, the Ocean of Peace, and become peaceful. Don’t cause sorrow for anyone or make anyone peaceless. Don’t become like salt and water. 
2. Like the Father, become a stick for the blind. In order to receive help from the Father, do service with faith in the intellect. 

Blessing: May you be an embodiment of success who constantly imbibes divinity with a divine intellect. 
Each child received at birth the blessing of a divine intellect from BapDada. The more you use this blessing of a divine intellect, the more you become an embodiment of success because divinity is the basis of success in every task. Souls who have received a divine intellect make everything that is not divine, divine. They imbibe divinity in every aspect. A divine intellect cannot be influenced by a task that is not divine. 
Slogan: Always consider yourself to be a guest and your stage will become avyakt and great. 

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