Popular Posts

Saturday, May 5, 2012

Murli 05 April Hindi & English

05-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन 
मुरली सार : मीठे बच्चे - अपने इस जीवन को कौड़ी से हीरे जैसा बनाना है तो समय को सफल करो, अवगुणों को निकालो, खाने-पीने, सोने में समय बरबाद मत करो 
प्रश्न: मनुष्यों ने किस एक शब्द से सबको भगवान का रूप समझ लिया है? 
उत्तर: बाबा कहता इस समय मैं बहुरूपी हूँ, ऐसे नहीं यहाँ जब मुरली चलाता तो परमधाम खाली हो जाता है, मुझे तो इस समय बहुत काम करने पड़ते हैं, बहुत सर्विस चलती है। बच्चों को, भक्तों को साक्षात्कार कराना पड़ता है। इस समय मैं बहुरूपी हूँ, इसी एक शब्द से मनुष्यों ने कहा है यह सब भगवान के रूप हैं। 
प्रश्न:- बाप की किस श्रीमत को पालन करने वाले बच्चे सपूत हैं? 
उत्तर:- बाबा कहते बच्चे कभी भी डिस सर्विस न करो, टाइम बहुत वैल्युबुल है, इसे सोने में न गँवाओ। कम से कम 8 घण्टा मेरे खातिर दो। यह श्रीमत पालन करने वाले सपूत हैं। 
गीत:- तूने रात गँवाई सोके... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) भारत को पावन बनाने की सेवा में अपना तन-मन-धन सफल करना है। पैसे को हीरा समझ स्वर्ग बनाने की सेवा में लगाना है, व्यर्थ नहीं गँवाना है। 
2) भविष्य 21 जन्मों की प्रालब्ध बनाने के लिए दिन-रात कमाई जमा करनी है, समय बरबाद नहीं करना है। शरीर को भूलने का पुरूषार्थ करना है। 
वरदान: रूहानियत द्वारा वृत्ति, दृष्टि, बोल और कर्म को रॉयल बनाने वाले ब्रह्मा बाप समान भव 
ब्रह्मा बाप के बोल, चाल, चेहरे और चलन में जो रायॅल्टी देखी - उसमें फालो करो। जैसे ब्रह्मा बाप ने कभी छोटी-छोटी बातों में अपनी बुद्धि वा समय नहीं दिया। उनके मुख से कभी साधारण बोल नहीं निकले, हर बोल युक्तियुक्त अर्थात् व्यर्थ भाव से परे अव्यक्त भाव और भावना वाले रहे। उनकी वृत्ति हर आत्मा प्रति सदा शुभ भावना, शुभ कामना वाली रही, दृष्टि से सबको फरिश्ते रूप में देखा। कर्म से सदा सुख दिया और सुख लिया। ऐसे फालो करो तब कहेंगे ब्रह्मा बाप समान। 
स्लोगन: मेहनत के बजाए मुहब्बत के झूले में झूलना ही श्रेष्ठ भाग्यवान की निशानी है।


Essence: Sweet children, if you want to change this life from a shell to a diamond, use your time in a worthwhile way. Remove the defects and don't waste your time eating, drinking and sleeping.

Question: Through which one word have human beings understood everyone to be a form of God?
Answer: Baba says: At this time, I am One who adopts many forms (Bahuroopi). It isn't that when I am speaking the murli, the supreme abode becomes empty. At this time I have to do a lot of work and a lot of service takes place. I have to grant visions to the children and to the devotees. At this time I am One with many forms. People have taken this to mean that all are forms of God.
Question: By following which shrimat of the Father are children worthy?
Answer: Baba says: Children, never do disservice. Time is very valuable. Don't waste it sleeping. Give at least eight hours for Me. The children who follow this shrimat are worthy.
Song: You wasted the night sleeping and the day eating.

Essence for dharna:
1. Use your body, mind and wealth in a worthwhile way by serving Bharat to make it pure. Consider your money to be worth diamonds and use it for the service of making Bharat into heaven. Don't waste it.
2. In order to create a reward for your future 21 births, accumulate an income day and night. Don't waste your time. Make effort to forget your body.

Blessing: May you become equal to Father Brahma by making your attitude, vision, words and deeds royal through spirituality.
Follow the royalty that you saw in Father Brahma’s words, deeds, face and behaviour. Father Brahma never engaged his intellect or time in trivial matters. Ordinary words never emerged from his mouth; each word was yuktiyukt, that is, they were those of avyakt intention and feelings and free from waste intent. His attitude towards each soul was that of pure feelings and good wishes. He saw everyone in an angelic form through his vision (drishti). He always gave and received happiness through his deeds. Follow him in this and you will then be called equal to Father Brahma.

Slogan: To swing in the swing of love instead of labouring is a sign of one who is elevated and fortunate. 

No comments:

Post a Comment