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Wednesday, May 2, 2012

Murli 02 April


[02-05-2012]

:''मीठे बच्चे - आधाकल्प तुमने जिस्मानी यात्रायें की, अब रूहानी यात्रा करो, घर बैठे बाप की याद में रहना, यह है वन्डरफुल यात्रा'' 
प्रश्न: बाप को बच्चों की किस एक बात पर बहुत वन्डर लगता है? 
उत्तर: जिस जागीर के लिए बच्चों ने आधाकल्प धक्का खाया, पुकारते रहे.., वह जागीर देने वाला जब आया है तब उनका बनकर भी फारकती दे देते हैं तो बाप को वन्डर लगता है, बच्चे चलते-चलते ऊंच चढ़ने के बजाए बिल्कुल नीचे गिर पड़ते हैं, यह भी कैसा वन्डर है। 
प्रश्न:- किन बच्चों को बाप द्वारा बहुत अच्छी दक्षिणा मिलती है? 
उत्तर:- जो बाप के रचे हुए रूद्र यज्ञ की अच्छी सम्भाल करते हैं और सदा श्रीमत पर चलते हैं, उन्हें बाप द्वारा बहुत अच्छी दक्षिणा मिलती है। 
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) यह टाइम बहुत वैल्युबुल है इसलिए एक सेकेण्ड भी इसे कमाई बिगर नहीं छोड़ना है। आत्म-अभिमानी रहने का पूरा पुरूषार्थ करना है। 
2) चलते-फिरते बाप को याद कर अपनी अवस्था जमानी है। बहुत मीठा बनना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। 
वरदान: कन्ट्रोलिंग पावर द्वारा रांग को राइट में परिवर्तन करने वाले श्रेष्ठ पुरूषार्थी भव 
श्रेष्ठ पुरूषार्थी वह हैं जो सेकण्ड में कन्ट्रोलिंग पावर द्वारा रांग को राइट में परिवर्तन कर दे। ऐसे नहीं व्यर्थ को कन्ट्रोल तो करना चाहते हैं, समझते भी हैं यह रांग हैं लेकिन आधा घण्टे तक वही चलता रहे। इसे कहेंगे थोड़ा-थोड़ा अधीन और थोड़ा-थोड़ा अधिकारी। जब समझते हो कि यह सत्य नहीं है, अयथार्थ वा व्यर्थ है, तो उसी समय ब्रेक लगा देना-यही श्रेष्ठ पुरूषार्थ है। कन्ट्रोलिंग पावर का अर्थ यह नहीं कि ब्रेक लगाओ यहाँ और लगे वहाँ। 
स्लोगन: अपने स्वभाव को सरल बना दो तो समय व्यर्थ नहीं जायेगा। 

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