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Tuesday, May 8, 2012

Murli 07 April Hindi & English

मुरली सार : ''मीठे बच्चे - श्रीमत में कभी मनमत मिक्स नहीं करना, मनमत पर चलना माना अपनी तकदीर को लकीर लगाना'' 

प्रश्न: बच्चों को बाप से कौन सी उम्मींद नहीं रखनी चाहिए? 
उत्तर: कई बच्चे कहते हैं बाबा हमारी बीमारी को ठीक कर दो, कुछ कृपा करो। बाबा कहते यह तो तुम्हारे पुराने आरगन्स हैं। थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी ही, इसमें बाबा क्या करें। कोई मर गया, देवाला निकल गया तो इसमें बाबा से कृपा क्या मांगते हो, यह तो तुम्हारा हिसाब-किताब है। हाँ योगबल से तुम्हारी आयु बढ़ सकती है, जितना हो सके योगबल से काम लो। 
गीत:- तूने रात गॅवाई..... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) बाप समान निरहंकारी बन सेवा करनी है। बाप की जो सेवा ले रहे हैं उसका दिल से रिटर्न देना है, बहुत मीठा बनना है। 
2) चलते फिरते अपना समय नहीं गंवाना है.. शिवबाबा के गले का हार बनने के लिए रेस करनी है। देह भी याद न पड़े..... इसका अभ्यास करना है। 

वरदान: बिजी रहने के सहज पुरूषार्थ द्वारा निरन्तर योगी, निरन्तर सेवाधारी भव 
ब्राह्मण जन्म है ही सदा सेवा के लिए। जितना सेवा में बिजी रहेंगे उतना सहज ही मायाजीत बनेंगे इसलिए जरा भी बुद्धि को फुर्सत मिले तो सेवा में जुट जाओ। सेवा के सिवाए समय नहीं गँवाओ। चाहे संकल्प से सेवा करो, चाहे वाणी से, चाहे कर्म से। अपने सम्पर्क और चलन द्वारा भी सेवा कर सकते हो। सेवा में बिजी रहना ही सहज पुरूषार्थ है। बिजी रहेंगे तो युद्ध से छूट निरन्तर योगी निरन्तर सेवाधारी बन जायेंगे। 

स्लोगन: आत्मा को सदा तन्दरूस्त रखना है तो खुशी की खुराक खाते रहो।




[07-05-2012] Murli from Madhuban - English
Essence: Sweet children, never mix the dictates of your own mind with shrimat. To follow the dictates of your own mind means to cross out your fortune. 

Question: Which hope should children not have in the Father? 
Answer: Some children say: Baba, cure my illness! Have mercy! Baba says: Those are your old organs. There will be a little difficulty but what can Baba do about it? Why do you ask for mercy from Baba when someone dies or goes bankrupt? Those are your karmic accounts. Yes, with the power of yoga, your lifespan can increase. To whatever extent you can, do everything with the power of yoga. 
Song: You wasted the night in sleeping and the day in eating. 

Essence for Dharna: 
1. Become as egoless as the Father and do service. Give the return from your heart of the service you are taking from the Father. Become very sweet. 
2. Do not waste your time moving around. Race to become part of the garland around Shiv Baba’s neck. Practise not remembering even your body. 

Blessing: May you be a constant yogi and a constant server by making the easy effort of remaining busy. 
Brahmin birth is for constantly serving. The busier you remain in service, the more easily you will become a conqueror of Maya. Therefore, whenever your intellect is even a little idle, engage yourself in service. Do not waste your time instead of doing service. Serve through your thoughts, through your words and through your deeds. You can also serve through your connections and your behaviour. To remain busy in service is easy effort. If you remain busy, you will be saved from battling and will become a constant yogi and a constant server. 

Slogan: In order to keep the soul constantly healthy, continue to eat the nourishment of happiness. 

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