10-05-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन
मुरली सार : "मीठे बच्चे - नींद को जीतने वाले बनो, रात को जागकर ज्ञान चिंतन करो, बाप की याद में रहो तो खुशी का पारा चढ़ेगा।"
प्रश्न: भारत में अनेक छुट्टियां होती हैं लेकिन संगमयुग पर तुम्हें एक सेकण्ड की भी छुट्टी नहीं मिलती क्यों?
उत्तर: क्योंकि संगम का एक-एक सेकण्ड मोस्ट वैल्युबुल है, इसमें श्वासों श्वांस बाप को याद करना है, रात-दिन सर्विस करनी है। आज्ञाकारी, वफादार बन याद से विकर्म विनाश करके इज्जत के साथ सीधा घर जाना है, सजाओं से छूटना है, आत्मा और शरीर दोनों को कंचन बनाना है इसलिए तुम्हें एक सेकण्ड की भी छुट्टी नहीं।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) शरीर और आत्मा दोनों को कंचन बनाने के लिए बाप को याद करने की आदत डालनी है। कभी भी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना है।
2) पढ़ाई के समय चेक करना है कि बुद्धि इधर-उधर भागती तो नहीं है! कभी भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है। माया की बाक्सिंग में हार नहीं खानी है।
वरदान: अमृतवेले अपने मस्तक पर विजय का तिलक लगाने वाले स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी भव
रोज़ अमृतवेले अपने मस्तक पर विजय का तिलक अर्थात् स्मृति का तिलक लगाओ। भक्ति की निशानी तिलक है और सुहाग की निशानी भी तिलक है, राज्य प्राप्त करने की निशानी भी राजतिलक है। कभी कोई शुभ कार्य में सफलता प्राप्त करने जाते हैं तो जाने के पहले तिलक देते हैं। आप सबको भी बाप के साथ का सुहाग है इसलिए अविनाशी तिलक है। अभी स्वराज्य के तिलकधारी बनो तो भविष्य में विश्व के राज्य का तिलक मिल जायेगा।
स्लोगन: ज्ञान, गुण और शक्तियों का दान करना ही महादान है।
Essence: Sweet children, become conquerors of sleep, stay awake at night and churn knowledge, stay in remembrance of the Father and your mercury of happiness will rise.
Question: There are many holidays in Bharat, but you don’t get a holiday in the confluence age for even a second; why?
Answer: Because every second of the confluence age is most valuable. You have to remember the Father in every breath. Remain engaged in service, day and night. Become obedient and faithful, have your sins absolved through remembrance and return straight home with honour. You have to become free from punishment and make both the soul and the body pure. This is why you cannot get a holiday for even a second.
Song: Our pilgrimage is unique.
Essence for dharna:
1. In order to make both you, the soul, and your body pure, instil the practice of remembering the Father. Never disobey Baba’s directions.
2. At the time of studying, check to see that your intellect is not wandering here and there. Never miss the study. Do not become defeated by Maya’s boxing.
Blessing: May you be a master of the self and one who has a right to the kingdom of the world by putting the tilak of victory on your forehead at amrit vela.
Every day at amrit vela, put on your forehead the tilak of victory, that is, the tilak of awareness. The sign of devotion is a tilak, the sign of being wed (suhaag) is a tilak and the sign of attaining a kingdom is the tilak of sovereignty. Before you set out for attaining success in an auspicious task, you are given a tilak. All of you also have the tilak of the Father’s company and therefore, your tilak is imperishable. Become one with the tilak of self-sovereignty at this time and you will receive the tilak of the kingdom in the future.
Slogan: To donate knowledge, virtues and powers is a great donation.
मुरली सार : "मीठे बच्चे - नींद को जीतने वाले बनो, रात को जागकर ज्ञान चिंतन करो, बाप की याद में रहो तो खुशी का पारा चढ़ेगा।"
प्रश्न: भारत में अनेक छुट्टियां होती हैं लेकिन संगमयुग पर तुम्हें एक सेकण्ड की भी छुट्टी नहीं मिलती क्यों?
उत्तर: क्योंकि संगम का एक-एक सेकण्ड मोस्ट वैल्युबुल है, इसमें श्वासों श्वांस बाप को याद करना है, रात-दिन सर्विस करनी है। आज्ञाकारी, वफादार बन याद से विकर्म विनाश करके इज्जत के साथ सीधा घर जाना है, सजाओं से छूटना है, आत्मा और शरीर दोनों को कंचन बनाना है इसलिए तुम्हें एक सेकण्ड की भी छुट्टी नहीं।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) शरीर और आत्मा दोनों को कंचन बनाने के लिए बाप को याद करने की आदत डालनी है। कभी भी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना है।
2) पढ़ाई के समय चेक करना है कि बुद्धि इधर-उधर भागती तो नहीं है! कभी भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है। माया की बाक्सिंग में हार नहीं खानी है।
वरदान: अमृतवेले अपने मस्तक पर विजय का तिलक लगाने वाले स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी भव
रोज़ अमृतवेले अपने मस्तक पर विजय का तिलक अर्थात् स्मृति का तिलक लगाओ। भक्ति की निशानी तिलक है और सुहाग की निशानी भी तिलक है, राज्य प्राप्त करने की निशानी भी राजतिलक है। कभी कोई शुभ कार्य में सफलता प्राप्त करने जाते हैं तो जाने के पहले तिलक देते हैं। आप सबको भी बाप के साथ का सुहाग है इसलिए अविनाशी तिलक है। अभी स्वराज्य के तिलकधारी बनो तो भविष्य में विश्व के राज्य का तिलक मिल जायेगा।
स्लोगन: ज्ञान, गुण और शक्तियों का दान करना ही महादान है।
Essence: Sweet children, become conquerors of sleep, stay awake at night and churn knowledge, stay in remembrance of the Father and your mercury of happiness will rise.
Question: There are many holidays in Bharat, but you don’t get a holiday in the confluence age for even a second; why?
Answer: Because every second of the confluence age is most valuable. You have to remember the Father in every breath. Remain engaged in service, day and night. Become obedient and faithful, have your sins absolved through remembrance and return straight home with honour. You have to become free from punishment and make both the soul and the body pure. This is why you cannot get a holiday for even a second.
Song: Our pilgrimage is unique.
Essence for dharna:
1. In order to make both you, the soul, and your body pure, instil the practice of remembering the Father. Never disobey Baba’s directions.
2. At the time of studying, check to see that your intellect is not wandering here and there. Never miss the study. Do not become defeated by Maya’s boxing.
Blessing: May you be a master of the self and one who has a right to the kingdom of the world by putting the tilak of victory on your forehead at amrit vela.
Every day at amrit vela, put on your forehead the tilak of victory, that is, the tilak of awareness. The sign of devotion is a tilak, the sign of being wed (suhaag) is a tilak and the sign of attaining a kingdom is the tilak of sovereignty. Before you set out for attaining success in an auspicious task, you are given a tilak. All of you also have the tilak of the Father’s company and therefore, your tilak is imperishable. Become one with the tilak of self-sovereignty at this time and you will receive the tilak of the kingdom in the future.
Slogan: To donate knowledge, virtues and powers is a great donation.
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