''मीठे बच्चे - कार्य व्यवहार करते बुद्धियोग एक बाप से लगा रहे, यही है सच्ची यात्रा, इस यात्रा में कभी भी थकना नहीं''
प्रश्न: ब्राह्मण जीवन में उन्नति के लिए किस बात का बल चाहिए?
उत्तर: अनेक आत्माओं की आशीर्वाद का बल ही उन्नति का साधन है। जितना अनेकों का कल्याण करेंगे, जो ज्ञान-रत्न बाप से मिले हैं, उनका दान करेंगे उतना अनेक आत्माओं की आशीर्वाद मिलेगी। बाबा बच्चों को राय देते हैं बच्चे पैसा है तो सेन्टर खोलते जाओ। हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोलो। उसमें जिसका भी कल्याण होगा उसकी आशीर्वाद मिल जायेगी। गीत:- रात के राही थक मत जाना...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञानी तू आत्मा बन शंख-ध्वनि करनी है। हर एक को सच्ची यात्रा सिखलानी है। अपनी प्रजा तैयार करनी है।
2) बुद्धि से पुरानी दुनिया को फारकती देना है, नई दुनिया से बुद्धियोग लगाना है। निर्भय, निर-वैर बनना है।
प्रश्न: ब्राह्मण जीवन में उन्नति के लिए किस बात का बल चाहिए?
उत्तर: अनेक आत्माओं की आशीर्वाद का बल ही उन्नति का साधन है। जितना अनेकों का कल्याण करेंगे, जो ज्ञान-रत्न बाप से मिले हैं, उनका दान करेंगे उतना अनेक आत्माओं की आशीर्वाद मिलेगी। बाबा बच्चों को राय देते हैं बच्चे पैसा है तो सेन्टर खोलते जाओ। हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोलो। उसमें जिसका भी कल्याण होगा उसकी आशीर्वाद मिल जायेगी। गीत:- रात के राही थक मत जाना...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञानी तू आत्मा बन शंख-ध्वनि करनी है। हर एक को सच्ची यात्रा सिखलानी है। अपनी प्रजा तैयार करनी है।
2) बुद्धि से पुरानी दुनिया को फारकती देना है, नई दुनिया से बुद्धियोग लगाना है। निर्भय, निर-वैर बनना है।
वरदान: बाबा शब्द की स्मृति से हद के मेरेपन को अर्पण करने वाले बेहद के वैरागी भव कई बच्चे कहते हैं मेरा यह गुण है, मेरी शक्ति है, यह भी गलती है, परमात्म देन को मेरा मानना यह महापाप है। कई बच्चे साधारण भाषा में बोल देते हैं मेरे इस गुण को, मेरी बुद्धि को यूज नहीं किया जाता, लेकिन मेरी कहना माना मैला होना - यह भी ठगी है इसलिए इस हद के मेरे पन को अर्पण कर सदा बाबा शब्द याद रहे, तब कहेगे बेहद की वैरागी आत्मा।
स्लोगन: अपनी सेवा को बाप के आगे अर्पण कर दो तो सेवा का फल और बल प्राप्त होता रहेगा।
परमात्म प्यार में समा जाओ
बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो रोज़ प्यार का रेसपान्ड देने के लिए इतना बड़ा पत्र लिखते हैं, यादप्यार देते हैं और साथी बन सदा साथ निभाते हैं, तो इस प्यार में अपनी सब कमजोरियां कुर्बान कर दो। दृढ़ता की तपस्या करो।
Song: Raat ke rahi thak mat jana रात के राही थक मत जाना..
2-1-12:
Essence: Sweet children, while doing your work, let your intellects remain connected in yoga with the one Father. This is the true pilgrimage. Never become tired of this pilgrimage. Question: What power do you need in Brahmin life in order to make progress? Answer: The power of the blessings of many souls is the way to make progress. The more you benefit others by donating the jewels of knowledge that you receive from the Father, the more blessings you will receive from many souls. Baba advises you children: Children, if you have money, continue to open centres. Open a hospital-cum-university. You will receive blessings from whoever receives benefit there.
Song: O traveller of the night, do not become weary! The destination of dawn is not far off!Essence for dharna:
1. Become a knowledgeable soul and blow the conch shell. Teach everyone the true pilgrimage. Create your subjects.
2. Divorce the old world from your intellect and connect your intellect in yoga with the new world. Become fearless and free from any animosity.Blessing: May you be one who has unlimited disinterest and with the awareness of the word “Baba” surrender the limited consciousness of “mine”.
Some children say: “This is my virtue, this is my power”, but that is a mistake. To consider a gift from God to be your own is a great sin. In ordinary language, some children say: “This virtue of mine or my intellect is not being used.” However, to consider those to be your own means to become dirty. This is deception and you must, therefore, surrender that limited consciousness of “mine” and constantly remember the word “Baba”, for only then will you be considered to be a soul who has unlimited disinterest.
Slogan: Surrender your service to the Father and you will continue to receive the fruit and power of service.
No comments:
Post a Comment