01-01-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:06-04-95 मधुबन
प्योरिटी की रूहानी पर्सनालिटी की स्मृति स्वरूप द्वारा मायाजीत बनो
वरदान: सतसंग द्वारा रूहानी रंग लगाने वाले सदा हर्षित और डबल लाइट भव
जो बच्चे बाप को दिल का सच्चा साथी बना लेते हैं उन्हें संग का रूहानी रंग सदा लगा रहता है। बुद्धि द्वारा सत् बाप, सत शिक्षक और सतगुरू का संग करना-यही सतसंग है। जो इस सतसंग में रहते हैं वो सदा हर्षित और डबल लाइट रहते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं होता। वे ऐसा अनुभव करते जैसे भरपूर हैं, खुशियों की खान मेरे साथ है, जो भी बाप का है वह सब अपना हो गया।
स्लोगन: अपने मीठे बोल और उमंग-उत्साह के सहयोग से दिलशिकस्त को शक्तिवान बनाओ।
विशेष नोट:-
जनवरी मास साकार बाप की स्मृतियों में समाने का अव्यक्ति मास, वरदानी मास है। बाबा कहते बच्चों का बाप से अटूट स्नेह है, अब सिर्फ स्नेह में समाते समान बनकर दिखाओ। तो इस जनवरी मास में हम सभी ब्रह्मा वत्स मुरली क्लास के पश्चात रोज़ 10 मिनट इस देह से न्यारे हो प्यार के सागर में समाने वा लवलीन स्थिति की अनुभूति करें, इसी लक्ष्य से रोज़ मुरली में एक प्वाइंट लिखी जा रही है, इस पर आप सब विशेष अभ्यास करें और करायें:-
परमात्म प्यार में समा जाओ
परमात्म-प्यार अखुट है, अटल है, इतना है जो सर्व को प्राप्त हो सकता है लेकिन परमात्म-प्यार प्राप्त करने की विधि है-न्यारा बनना, तो देह से न्यारे बन परमात्म प्यार में समा जाओ।
प्योरिटी की रूहानी पर्सनालिटी की स्मृति स्वरूप द्वारा मायाजीत बनो
वरदान: सतसंग द्वारा रूहानी रंग लगाने वाले सदा हर्षित और डबल लाइट भव
जो बच्चे बाप को दिल का सच्चा साथी बना लेते हैं उन्हें संग का रूहानी रंग सदा लगा रहता है। बुद्धि द्वारा सत् बाप, सत शिक्षक और सतगुरू का संग करना-यही सतसंग है। जो इस सतसंग में रहते हैं वो सदा हर्षित और डबल लाइट रहते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं होता। वे ऐसा अनुभव करते जैसे भरपूर हैं, खुशियों की खान मेरे साथ है, जो भी बाप का है वह सब अपना हो गया।
स्लोगन: अपने मीठे बोल और उमंग-उत्साह के सहयोग से दिलशिकस्त को शक्तिवान बनाओ।
विशेष नोट:-
जनवरी मास साकार बाप की स्मृतियों में समाने का अव्यक्ति मास, वरदानी मास है। बाबा कहते बच्चों का बाप से अटूट स्नेह है, अब सिर्फ स्नेह में समाते समान बनकर दिखाओ। तो इस जनवरी मास में हम सभी ब्रह्मा वत्स मुरली क्लास के पश्चात रोज़ 10 मिनट इस देह से न्यारे हो प्यार के सागर में समाने वा लवलीन स्थिति की अनुभूति करें, इसी लक्ष्य से रोज़ मुरली में एक प्वाइंट लिखी जा रही है, इस पर आप सब विशेष अभ्यास करें और करायें:-
परमात्म प्यार में समा जाओ
परमात्म-प्यार अखुट है, अटल है, इतना है जो सर्व को प्राप्त हो सकता है लेकिन परमात्म-प्यार प्राप्त करने की विधि है-न्यारा बनना, तो देह से न्यारे बन परमात्म प्यार में समा जाओ।
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