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Thursday, January 12, 2012

Murli 12 Jan 2012

12-1-12:
''मीठे बच्चे - तुम्हें सदा सर्विस के ख्यालातों में रहना हैज्ञानी तू आत्मा बनना हैसमय व्यर्थ नहीं गंवाना है''
 प्रश्न: जो ज्ञानवान बच्चे हैंउनकी निशानी क्या होगी
उत्तर: वे सदा सर्विस पर जुटे रहेंगे। अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करने में उन्हें खुशी होगी। बाप भी उनसे राज़ी होगा। वह कब वाह्यात खान-पान आदि के ख्यालातों में समय नहीं गंवायेंगे। उनको कभी रोना नहीं आ सकता। उन्हें कभी यह अंहकार नहीं आयेगा कि फलाने को हमने ज्ञान दिया। हमेशा कहेंगे बाबा ने दिया। गीत:- दु:खियों पर रहम करो..... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) 
कभी भी अपना अहंकार नहीं दिखाना है। दधीचि ॠषि मिसल सेवा में हड्डियां देनी है।
2) 
सदा हर्षितमुख रहना हैकभी भी रोना नहीं है। रोना माना विधवा बनना इसलिए मुस्कराते रहना हैजोर से भी हंसना नहीं है।

वरदान: समय के ज्ञान को स्मृति में रख सब प्रश्नों को समाप्त करने वाले स्वदर्शन चक्रधारी भव जो स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे स्व का दर्शन कर लेते हैं उन्हें सृष्टि चक्र का दर्शन स्वत: हो जाता है। ड्रामा के राज़ को जानने वाले सदा खुशी में रहते हैंकभी क्योंक्या का प्रश्न नहीं उठ सकता क्योंकि ड्रामा में स्वयं भी कल्याणकारी हैं और समय भी कल्याणकारी है। जो स्व को देखतेस्वदर्शन चक्रधारी बनते वह सहज ही आगे बढ़ते रहते हैं। 
स्लोगन: अनेक आत्माओं की सच्ची सेवा करनी है तो शुभचिंतक बनो।
परमात्म प्यार में समा जाओ 
सेवा वा स्वंय की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार। बाप के सिवाए और कुछ दिखाई न दे। संकल्प में भी बाबाबोल में भी बाबाकर्म में भी बाप का साथऐसी लवलीन स्थिति में सदा स्थित रहो।


Song:Dukhiyo par raham karo दु:खियों पर रहम करो..... Have mercy on those who are unhappy, O Mother and Father of ours!

12-1-12:

Essence: Sweet children, constantly have thoughts of service. Become a knowledgeable soul. Don't waste your time. Question: What are the signs of knowledgeable children? Answer: They remain constantly engaged in service. They experience happiness in donating the imperishable jewels of knowledge. The Father is also pleased with them. They never waste their time with unnecessary food and drink. They never cry. They are never proud of having given knowledge to someone. They always say that Baba gave that knowledge.
Song: Have mercy on those who are unhappy, O Mother and Father of ours!
Essence for dharna: 
1. Never show your pride. Give your bones in service as Dadhichi Rishi did.
2. Remain constantly cheerful. Never cry. To cry means to be a widow. Therefore, continue to smile. Don't laugh loudly.
Blessing: May you be a spinner of the discus of self-realisation and finish all your questions by keeping the knowledge of time in your awareness.
The children who are the spinners of the discus of self-realisation and look at themselves also look at the world cycle. Those who understand the secret of the drama always remain happy. They can never have questions such as “Why?” or “What?” because, in the drama, the self and time are benevolent. Those who look at the self and who become spinners of the discus of self-realisation continue to move forward.
Slogan: In order to serve all souls truly, become one who has pure and positive thoughts.

Become merged in God’s love. 
The main basis of success in the ascending stage in service and for the self is to have unbroken love for the Father. You should not see anyone except the Father. Baba in your thoughts, Baba in your words and, in your actions, experience the Father’s company. Remain constantly stable in the stage of being merged in love.




''मीठे बच्चे - तुम्हें सदा सर्विस के ख्यालातों में रहना है, ज्ञानी तू आत्मा बनना है, समय व्यर्थ नहीं गंवाना है'' 
प्रश्न: जो ज्ञानवान बच्चे हैं, उनकी निशानी क्या होगी? 
उत्तर: वे सदा सर्विस पर जुटे रहेंगे। अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करने में उन्हें खुशी होगी। बाप भी उनसे राज़ी होगा। वह कब वाह्यात खान-पान आदि के ख्यालातों में समय नहीं गंवायेंगे। उनको कभी रोना नहीं आ सकता। उन्हें कभी यह अंहकार नहीं आयेगा कि फलाने को हमने ज्ञान दिया। हमेशा कहेंगे बाबा ने दिया। 
गीत:- दु:खियों पर रहम करो..... 


धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) कभी भी अपना अहंकार नहीं दिखाना है। दधीचि ॠषि मिसल सेवा में हड्डियां देनी है। 
2) सदा हर्षितमुख रहना है, कभी भी रोना नहीं है। रोना माना विधवा बनना इसलिए मुस्कराते रहना है, जोर से भी हंसना नहीं है। 
वरदान: समय के ज्ञान को स्मृति में रख सब प्रश्नों को समाप्त करने वाले स्वदर्शन चक्रधारी भव 
जो स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे स्व का दर्शन कर लेते हैं उन्हें सृष्टि चक्र का दर्शन स्वत: हो जाता है। ड्रामा के राज़ को जानने वाले सदा खुशी में रहते हैं, कभी क्यों, क्या का प्रश्न नहीं उठ सकता क्योंकि ड्रामा में स्वयं भी कल्याणकारी हैं और समय भी कल्याणकारी है। जो स्व को देखते, स्वदर्शन चक्रधारी बनते वह सहज ही आगे बढ़ते रहते हैं। 
स्लोगन: अनेक आत्माओं की सच्ची सेवा करनी है तो शुभचिंतक बनो। 
परमात्म प्यार में समा जाओ 
सेवा वा स्वंय की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार। बाप के सिवाए और कुछ दिखाई न दे। संकल्प में भी बाबा, बोल में भी बाबा, कर्म में भी बाप का साथ, ऐसी लवलीन स्थिति में सदा स्थित रहो। 

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