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Wednesday, February 22, 2012

Points of Self Respect and Soul Study:


  शान्ति दिव्य फरिश्ते !!! 
विचार सागर मंथन: फ़रवरी  २२२०१२
बाबा की महिमा: 
परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... ज्ञान का सागर...ज्ञान ज्ञानेश्वर...ऊँचे ते ऊँचा शिव बाबा...कालों का काल... ओबीडियन्ट  फ़ादर... ओबीडियन्ट  टीचर... ओबीडियन्ट   सतगुरु...ओबीडियन्ट  सरवन्ट ...पारलौकिक फ़ादर,पारलौकिक टीचरपारलौकिक सतगुरु...सदगति दाता...पतित पावन...
स्वमान और आत्मा अभ्यास: १. हम  ज्ञान गंगा आत्माएँज्ञान सागर बाप से ज्ञान लेकर त्रिनेत्रीतीनों काल के ज्ञान से त्रिकालदर्शी  और तीनों लोकों के ज्ञान से  त्रिलोकिनाथ हैं... एक सेकण्ड में जीवन मुक्ति हक से प्राप्त करकाल पर जीत पानेवाले२१  जन्मों के लिए शिव बाबा से सूक्ष्म और स्थूल झोली भरनेवाले,  पूरे  वर्स के अधिकारी हैं ... प्रजापिता ब्रह्मा के मुख वंशावली पद्मा पदम भाग्यशालि ब्राह्मणसबसे ऊँच ईश्वरीय औलाद,  नशेवाले स्वदर्शनचक्रधारी हैं...चक्रवर्ती राजा रानी हैं...

२. हम  शान्ति धाम निवासी आत्माएँपूरानी दुनिया को भूलनेवालेबेहद के वैरागी हैं...बाप समान ओबीडियन्ट  बन सेवा करकाँटों से फूलमनुष्य से देवता बनने और बनानेवाले,  हीरे जैसे सदा सुखी हैं...राज योग के बल से जमुना के कण्ठे  पर फूलों का बगीचा,  सोझरासुख और शान्ति  वाला परिस्तान हेवीनपैराडाइज़में  आदि सनातन देवी देवताओं की गद्दी स्थापन करनेवालेअमरलोक के मालिक हैं... सूर्यवंशी राजा रानी हैं...

३. हम  देही अभिमानी आत्माएँहर घड़ी को अंतिम घड़ी समझनेवाले एवर रेडी हैं... अंतिम घड़ी पर भरोसा नहीं  रखनेवालेसदा उपरम हैं...सबसे न्यारेबाप के प्यारेनष्टोमोहा स्मृति लब्धा हैं...सदा निर्क्रोघीनिर्मोहीनिर्लोभीनिर्विकल्पनिर्वयर्थ रहनेवालेतीव्र पुरुषार्थी हैं...एडजेस्ट करनेकी शक्तिवालेपास विद आँनर हैं...

स्टार पॉइंट :- हम आत्मायें मात पिता बापदादा का याद प्यार नमस्ते गुड मोर्निग मुबारक वरदान स्वीकार करने वाला बाप का मीठा रूहानी सिकिल्धा सौभाग्यशाली राजयोगी राजा बच्चा हूँ .... ज्ञान :- मैं आत्मा  स्वदर्शन चक्रधारी त्रिकालदर्शी , पद्मापदम भाग्यशाली जीवन्मुक्ति का अधिकारी ब्रह्मा वंशी ब्राहमण हूँ .....योग :-  मैं आत्मा बेहद का वैरागी हूँ .... .काल पर विजयी हूँ .... धारणा :- मैं आत्मा सूर्यवंशी राजयोगी राजा हूँ .... दिव्य फूल हूँ ..... देहि अभिमानी हूँ .....सेवा: मैं आत्मा आप सामान बनाने वाला ओबीडियंट सेवाधारी हूँ ... -

बुधवार है - शक्ति स्वरप - लाल रंग - पुर्थ्वी तत्व - सर्वशक्तिमान - ओलमाइटी अथोरिटी ------मैं आत्मा ज्योति स्वरूप हूँ ... लाइट माइट का पुंज हूँ .... एक दिव्य सितारा हूँ .... मेरे चारों और प्रकाश ही प्रकाश  है .... दिव्य अलौकिक प्रकाश ... मैं आत्मा लाइट के कार्ब में हूँ .... प्यारे बाबा आपने मुझे आत्मा को ईश्वरीय शक्तियों का अधिकारी  बनाते हुए मुझ आत्मा को अनुपम प्राप्ति कराई है ....  मैं आत्मा लाइट हूँ ... माइट हूँ ... विश्व कल्याणकारी हूँ ..... शक्तियों की असंख्य किरणें मुझ आत्मा से निकल -निकल कर चारों और फैल रही है ... मैं आत्मा शक्तियों का पुंज हूँ ... बाबा आपने मुझे सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनाकर सर्व समर्थ बना दिया ...  मैं सम्पन्न हूँ ... भरपूर हूँ .... सम्पूर्ण हूँ ....  प्यारे बाबा आपके द्वारा मुझ आत्मा को असीम शक्ति की प्राप्ति हो रही है ... मैं शक्ति स्वरूप हूँ ... लाइट हूँ .... ज्योति स्वरूप हूँ .... मास्टर बिजरूप हूँ .... शिव शक्ति हूँ ... सर्व शक्ति की ज्वाला हूँ ..... चारों और शक्ति ही शक्ति है ... मैं शक्ति पुंज हूँ ... लाइट माइट की तेज किरणे देने वाला एक तेज चमकता हुआ कण हूँ .... सर्व शक्तियों का प्रकाश शिवबाबा से मुझ आत्मा पर उतर - उतर का सारे विश्व में फैल रहा है ....
अब सर्व शक्तिमान शिवबाबा से निकलती हुई सर्व शक्तियों की लाल किरणें मेरे शक्ति के क्षेत्र को भरपूर कर रही है .... मैं आत्मा स्वयं  को मास्टर सर्व शक्तिमान अनुभव कर रही हूँ .... बाबा की शक्तिशाली ये लाल किरणें अब साकार लोक में पहुँच कर अनेक आत्माओं शक्ति के क्षेत्र को सम्पन्न कर सारे विश्व में शक्ति की लाल किरणों फैला रही हूँ .....
मैं आत्मा परमात्मा शिवशक्ति से सम्प्पन की उर्जा की किरणों सूक्ष्म देह पर केन्द्रित कर रही हूँ .... इन शक्ति की किरणों से देह और सम्पूर्ण विश्व का पुर्थ्वी तत्व पावन एवम क्रियाशील बनता जा रहा है .... फलस्वरूप पुर्थ्वी तत्व से निर्मित शरीर के हड्डी मांस चर्म नाखून केश आदि अंग पुष्ट होते जा रहे है .... पुर्थ्वी तत्व पावन होने से अड्रीनलग्रंथि सुजाणु रूप से कार्य कर रही है .... जिसे इन अंगों से सभी रोग समाप्त हो रहे है .... और मैं आत्मा शक्तियों से सम्प्पन होती जा रही हूँ ...... 


Om Shanti Divine Angels !!!  
Points to Churn: Murli of February 22, 2012
Praise of Baba: 
The Supreme Father, the Supreme Soul is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba... the Ocean of Knowledge...the God of Knowledge...The Highest on High Shiv Baba...the Death of all deaths...the Obedient Father...the Obedient Teacher...the Obedient Satguru...the Obedient Servant...the Parlokik Father, the Parlokik Teacher, the Parlokik Satguru...the Bestower of Salvation... the Purifier...
 
Points of Self Respect and Soul Study:

1.   By imbibing knowledge from  the Ocean of Knowledge,  we, the souls, the Ganges of knowledge, become trinetri...we  become trikaldarshi by knowing the three aspects of time and become trilokinath by having knowledge of the three worlds...we rightfully attain liberation-in-life in one second, gain victory over death, fill our aprons for 21 births with subtle and corporeal inheritance, which is our right ...we are the intoxicated spinners of the discus of self realization, the multi million times fortunate Brahmins, the mouth-born creations of Prajapita Brahma, the highest children of God, the kings and queens of the globe...


2.   We, the souls, the residents of the land of peace, are the unlimited renunciates who forget the old world...we become obedient like the Father and serve everyone, make thorns to flowers, ordinary human beings to deities, and are constantly happy like  diamonds....we are the masters of the land of immortality who, with the power of Raj Yoga, establish the eternal original deity kingdom  on the banks of the river Jamuna,  a garden of flowers, a land of angels, a heaven,  a paradise....we are the kings and queens of the sun dynasty...

3.   We, the soul conscious souls, are ever-ready, by  considering  every moment to be the last...we constantly remain beyond, as there is no guarantee of the last moment...we are the destroyers of attachment and the embodiments of remembrance, who are detached from everyone, and remain loving to the Father...we are the intense effort-makers, who are constantly free from anger, free from attachment, free from greed, free from sinful thoughts and free from wasteful thoughts...with the power to adjust, we pass with honors...

Om Shanti divya farishte !!!
Vichaar sagar manthan: Farvari  22, 2012
Baba ki Mahima:
Parampita Paramatma Shiv Baba hain...Mera Baba...Pyaara Baba...Meetha Baba...Dayalu Baba...Kripalu Baba... Sat Baap...Sat Tichar...Sat Guru...
Gyan ka Sagar...Gyan gyaneshwar...Oonche te ooncha Shiv Baba...Kaalon ka kaal...obydiyant Fader... obydiyant Tichar... obydiyant Satguru...obydiyant Sarvant...Parlaukik Fader, Parlaukik Tichar, Parlaukik Satguru...Sadgati Data...Patit Paavan...
Swamaan aur atma abhyas:
1.   Hum  gyan ganga atmaayen, gyan sagar baap se gyan lekar trinetri, teenon kaal ke gyan se trikaaldarshi aur teenon lokon ke gyan se trilokinaath hain... ek sekand men jeewan mukti hak se praapt kar, kaal par jeet paanewale, 21 janmon ke liye shiv baba se sukshm aur sthool jholi bharnewale, poore varse ke adhikaari hain ... prajapita brahma ke mukh vanshaavali padma padam bhaagy shaali brahman, sabse oonch ishwariy aulaad,  nashewale swa darshan chakr dhaari hain...chakrvarti raja rani hain...
  
2.   Hum  shanti dhaam niwaasi atmaayen, pooraani duniya ko bhoolewale, behad ke vairaagi hain...baap samaan obydiyant ban seva kar, kaanton se phool, manushy se devta ban ne aur banaanewale,  heere jaise sada sukhi hain...raj yog ke bal se jamuna ke kanthe par phoolon ka bagicha,  sojhra, sukh aur shanti  wala paristaan , hevin,  pairaadaaiz, men  adi sanatan devi devtaon ki gaddi, sthaapan karnewale, amarlok ke maalik hain... soory vanshi raja rani hain...
  
3.   Hum  dehi abhimaani atmaayen, har ghadi ko antim ghadi samajhnewale evar redy hain... antim ghadi par bharosa nahi rakhnewale, sada upram hain...sabse nyaare, baap ke pyaare, nashto moha smriti labdha hain...sada nirkrodhi, nirmohi, nirlobhi, nirvikalp, nirvyarth rahnewale, tivr purushaarthi hain...edjest karneki shaktiwale, paas wid aanar hain...

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